पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में सुरक्षित बैठे आतंकियों को जहन्नुम पहुँचाने के अपने लक्ष्य में ऑपरेशन सिंदूर पूरी तरह सफल रहा है। ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान द्वारा वर्षों से पोषित आतंकियों एवं उनके रिश्तेदारों की मौत पर पाकिस्तान की सेना बौखला गई और उसने भारत के नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाने का प्रयास किया। भारत ने अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तान के लगभग सभी हमलों को विफल कर दिया। वहीं, पलटवार में भारत ने पाकिस्तान के भीतरी ठिकानों को निशाना बनाकर अपने इरादे जाहिर कर दिए। पाकिस्तान माइक-कैमरा पर आकर कुछ भी कहे लेकिन भारतीय सेना का रौद्र रूप देखकर वह भीतर से भयभीत थी। इसलिए पाकिस्तान की सेना और सरकार ने मिलकर हमले रोकने के लिए गुहार लगाना शुरू कर देया था। भारत ने अपनी शर्तों पर पाकिस्तान को घुटनों पर बैठने के लिए मजबूर किया है। सीजफायर में भारत ने अपनी शर्तें मनवायी हैं। भविष्य में किसी भी आतंकवादी हमले को ‘युद्ध की घोषणा’ समझा जाएगा। यह भारत के सामर्थ्य की जीत है। परंतु यहाँ भारत को हमेशा सावधान रहना होगा। पाकिस्तान की सेना, सरकार और उसके द्वारा पोषित आतंकवाद पर किसी भी सूरत में विश्वास नहीं किया जा सकता है। कहना होगा कि भारतीय वायुसेना ने कहा भी कि ऑपरेशन सिंदूर एक पेशेवर ऑपरेशन था, जिसमें हमें सफलता मिली है। तात्कालीक लक्ष्य हमने पहले दिन ही प्राप्त कर लिए थे। वायुसेना ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के विरुद्ध यह ऑपरेशन जारी रहेगा। भारतीय सेना का यह वक्तव्य बहुत कुछ कहता है। हालांकि, यहाँ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जल्दबाजी दिखाते हुए भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर का श्रेय लूटने की घोषणा करके भारत के महत्व को कम करने का राजनीतिक अपराध किया है, जिसे संभवत: भारत कभी भूलेगा नहीं। सीजफायर के बाद भारत में कांग्रेस के नेता-कार्यकर्ता एवं तथाकथित सेकुलर ताकतें जिस प्रकार से भारतीय सेना, सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मनोबल गिराने के लिए प्रोपेगेंड़ा फैला रही हैं, उसे भारत के देशभक्त नागरिकों को भली प्रकार देखना चाहिए। कल तक जो युद्ध रोकने के लिए अभियान चला रहे थे, वे ही अब कथित युद्ध रुकने पर प्रधानमंत्री मोदी को कोस रहे हैं। इस दोगले आचरण में बहुत कुछ संकेत छिपे हैं। ये ऐसी ताकतें हैं, जो प्रत्येक परिस्थिति में भारत को कमजोर दिखाने के लिए अपनी बुद्धि लगाती हैं। पाकिस्तान को जिस प्रकार का नुकसान भारत ने पहुँचाया है, वह अभूतपूर्व है। भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकाने ही नहीं अपितु सैन्य ठिकाने भी तबाह किए हैं। लेकिन, देश विरोधियों को यह सब दिखायी नहीं दे रहा है। यह भी याद रखा जाना चाहिए कि अब तक के इतिहास में यह पहली बार है, जब पाकिस्तान ने भारत के विपक्षी नेताओं और उसके समर्थक बुद्धिजीवियों के बयानों को दिखाकर भारत को ही मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। यह बहुत शर्मनाक है। लेकिन, इसके बाद भी विपक्षी नेताओं को किसी प्रकार की शर्म नहीं आ रही। वे फिर से उसी तरह के बयान दे रहे हैं, जिनका उपयोग पाकिस्तान स्वयं को बेहतर दिखाने के लिए कर सकता है। सीजफायर के बाद जिस प्रकार की राजनीति भारत में शुरू हो गई है, उसकी अपेक्षा पहले से थी। क्योंकि मौजूदा समय में भारत में जो विपक्ष है, वह गैर-जिम्मेदार है।