‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की बढ़ती स्वदेशी शक्ति का प्रमाण: राजनाथ सिंह

पुणे में बोले— अब भारत अपने सैनिकों के लिए खुद बनाएगा हथियार, 2029 तक तीन लाख करोड़ के रक्षा उत्पादन का लक्ष्य

मुंबई/पुणे, 16 अक्टूबर। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की बढ़ती स्वदेशी रक्षा क्षमता और आत्मनिर्भरता का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि यह मिशन न केवल भारत की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन है, बल्कि यह साबित करता है कि देश अब रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में निर्णायक कदम उठा चुका है।

राजनाथ सिंह गुरुवार को पुणे स्थित सिम्बायोसिस स्किल्स एंड प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत की रक्षा नीति अब “खरीदने” से “निर्माण करने” की ओर मुड़ चुकी है, और इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लिए गए दूरदर्शी निर्णयों को जाता है।


🔹 “ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया भारत की आत्मनिर्भर शक्ति का प्रमाण”

रक्षा मंत्री ने कहा,

“ऑपरेशन सिंदूर भारत की बढ़ती स्वदेशी शक्ति का ज्वलंत प्रमाण है। यह भारत के आत्मनिर्भर रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र की मजबूती को दर्शाता है। हमने जो भी सफलता हासिल की है, वह हमारे वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और सैनिकों की मेहनत का परिणाम है।”

राजनाथ सिंह ने कहा कि यह ऑपरेशन भारत के आत्मविश्वास की प्रतीक कहानी है। देश अब अपनी सुरक्षा के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं, बल्कि स्वयं अपने हथियार, मिसाइल और रक्षा प्रणालियाँ विकसित कर रहा है।


🔹 “स्वतंत्रता के बाद से बदलाव की जरूरत थी”

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश लंबे समय तक विदेशी हथियारों पर निर्भर रहा। “हम हथियार खरीदने के आदी हो गए थे, क्योंकि हमारे पास स्वदेशी निर्माण की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी थी,” उन्होंने कहा।

रक्षा मंत्री ने बताया कि बीते वर्षों में सरकार ने ऐसे सभी पुराने ढर्रे तोड़ दिए हैं।

“अब हमारा संकल्प स्पष्ट है— भारत अपने सैनिकों के लिए स्वदेश में निर्मित हथियार बनाएगा। चाहे टैंक हों, फाइटर जेट हों या मिसाइलें— भारत अब खुद अपनी सुरक्षा का निर्माता है।”

उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सैनिकों ने साहस और स्वदेशी उपकरणों के माध्यम से जो सफलता हासिल की, उसने दुनिया के सामने भारत की रक्षा क्षमता का नया अध्याय लिखा।


🔹 दस वर्षों में रक्षा उत्पादन में ऐतिहासिक बढ़ोतरी

राजनाथ सिंह ने बताया कि पिछले दस वर्षों में भारत का वार्षिक रक्षा उत्पादन 46 हजार करोड़ रुपए से बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।
इसमें निजी क्षेत्र का योगदान लगभग 33 हजार करोड़ रुपए का है, जो यह दर्शाता है कि आत्मनिर्भर भारत का अभियान अब जनसहभागिता में बदल चुका है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने वर्ष 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपए के रक्षा विनिर्माण और 50 हजार करोड़ रुपए के रक्षा निर्यात का लक्ष्य तय किया है।

“हमें विश्वास है कि भारत न केवल आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि विश्व को रक्षा उपकरणों का भरोसेमंद निर्यातक भी बनेगा,” उन्होंने कहा।


🔹 “सच्ची सफलता केवल डिग्री नहीं, नवाचार में है”

राजनाथ सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि केवल शैक्षणिक उपाधि प्राप्त करना ही सफलता नहीं है, बल्कि नवाचार, सृजन और समाज के हित में ज्ञान का उपयोग करना ही सच्ची उपलब्धि है।
उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे अपने सपनों को राष्ट्र निर्माण के लक्ष्यों से जोड़ें।

“आपके विचार, आपकी तकनीक और आपका नवाचार भारत के विकास की गति तय करेंगे। केवल उपाधि प्राप्त करना पर्याप्त नहीं— आपको निर्माता, सृजनकर्ता और राष्ट्रहित में योगदानकर्ता बनना होगा।”


🔹 “एआई मानव श्रम का विकल्प नहीं, सहायक साधन है”

रक्षा मंत्री ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) के बढ़ते प्रभाव पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि एआई मानव की जगह नहीं लेगी, बल्कि वह केवल एक सहायक उपकरण है।

“जो लोग एआई का उपयोग करना सीखेंगे, वे उन लोगों की जगह लेंगे जो इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे। लेकिन तकनीक को मानवीय संवेदनशीलता, नैतिकता और मूल्यों का विकल्प नहीं बनने देना चाहिए।”


🔹 “भारत अब विश्व का रक्षा विनिर्माण केंद्र बनेगा”

राजनाथ सिंह ने कहा कि आज भारत अपने रक्षा उद्योग, विज्ञान, और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्रालय देश के युवाओं, स्टार्टअप्स और निजी कंपनियों को प्रोत्साहित कर रहा है ताकि वे भविष्य के हथियार और तकनीक विकसित करें।

उन्होंने कहा—

“हमारा लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में भारत रक्षा उपकरणों का विनिर्माण केंद्र बने। यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ दोनों का सम्मिलन है।”


🔹 कार्यक्रम में शुरू हुआ डिफेंस एंड एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी स्कूल

कार्यक्रम के दौरान राजनाथ सिंह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्कूल ऑफ डिफेंस एंड एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर राज्य के कई मंत्री, विश्वविद्यालय के कुलपति और रक्षा उद्योग से जुड़े प्रतिनिधि उपस्थित रहे।


🔹 दिशा: स्वदेशी शक्ति का नया युग

रक्षा मंत्री के वक्तव्य ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अब “खरीदार राष्ट्र” नहीं, बल्कि “निर्माता राष्ट्र” की भूमिका निभा रहा है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता इस बदलाव की पुष्टि करती है — भारत अब न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा कर रहा है, बल्कि अपने वैज्ञानिकों और उद्योगों के माध्यम से वैश्विक आत्मनिर्भरता का नया प्रतीक बन गया है।