भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत दुनिया के 33 देशों में भेजे गए सांसदों के डेलिगेशन अब भारत लौटने लगे हैं। इस अभियान का उद्देश्य था—पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख स्पष्ट करना और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत की सैन्य व कूटनीतिक नीति से अवगत कराना।
बुधवार को जेडीयू सांसद संजय झा और शिवसेना नेता श्रीकांत शिंदे की अगुवाई वाले दो डेलिगेशन वापस भारत पहुंचे। संजय झा के नेतृत्व वाला डेलिगेशन इंडोनेशिया, मलेशिया, कोरिया, जापान और सिंगापुर जैसे देशों की यात्रा पर था, वहीं श्रीकांत शिंदे का दल यूएई, लाइबेरिया, कांगो और सिएरा लियोन का दौरा कर लौटा।

इससे पहले लौटे ओवैसी-पांडा समेत अन्य सांसद
मंगलवार को ही भाजपा सांसद बैजयंत पांडा के नेतृत्व वाला एक अन्य डेलिगेशन भारत लौटा था। इस डेलिगेशन में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, फंगनन कोन्याक, रेखा शर्मा, गुलाम नबी आजाद और पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला भी शामिल थे। इन्होंने सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और अल्जीरिया का दौरा किया।

कुल 59 सांसदों को 7 समूहों में किया गया विभाजित
सरकार ने सभी दलों के 59 सांसदों को 7 अलग-अलग समूहों में विभाजित कर उन्हें दुनियाभर के प्रमुख देशों में भेजा। उद्देश्य था—ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर वैश्विक समर्थन जुटाना। इन डेलिगेशनों में आठ पूर्व राजनयिक भी शामिल किए गए, ताकि संदेश की विश्वसनीयता और प्रभाव बढ़ाया जा सके।
पीएम मोदी से होगी मुलाकात
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 या 10 जून को इन सभी डेलिगेशन टीमों से मुलाकात कर सकते हैं। इस दौरान सांसद अपने-अपने दौरों की विस्तृत रिपोर्ट प्रधानमंत्री को सौंपेंगे।
भारत ने दुनिया को दिए 5 स्पष्ट संदेश:
- आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस
ऑपरेशन सिंदूर एक सुनियोजित सैन्य कार्रवाई थी जिसमें आतंकी ठिकानों को लक्षित किया गया। भारत ने दुनिया को यह संदेश दिया कि वह अब आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा। - पाकिस्तान आतंक का पोषक
सांसदों ने देशों को TRF जैसे आतंकी संगठनों के सबूत दिए जो पाकिस्तान से संचालित होते हैं। खासतौर पर पहलगाम हमले की पूरी पड़ताल रिपोर्ट भी साझा की गई। - भारत संयमित लेकिन दृढ़
भारत ने सैन्य कार्रवाई के दौरान यह सुनिश्चित किया कि किसी निर्दोष नागरिक को नुकसान न पहुंचे। पाकिस्तान ने जब कार्रवाई रोकने का आग्रह किया, तो भारत ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए यह स्वीकारा। - आतंक के खिलाफ वैश्विक एकजुटता की अपील
सांसदों ने दौरे के दौरान इन देशों से अपील की कि वे आतंकवाद के खिलाफ खुलकर आवाज उठाएं और भारत के प्रयासों को समर्थन दें। - पाक नीति में बड़ा बदलाव
भारत अब प्रो-एक्टिव नीति अपनाएगा—यानी खतरा बनने से पहले उसे निष्क्रिय किया जाएगा। यह स्पष्ट कर दिया गया है कि भारत अपनी सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा।
अतीत में भी हुए हैं ऐसे कूटनीतिक प्रयास:
- 1994, तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में कश्मीर मुद्दे पर भारत का पक्ष रखने के लिए जिनेवा में UNHRC में डेलिगेशन भेजा था। इसमें फारूक अब्दुल्ला और सलमान खुर्शीद भी शामिल थे।
- 2008, मुंबई हमलों के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आतंकवाद पर पाकिस्तान की भूमिका उजागर करने के लिए विपक्षी नेताओं समेत प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजा था। इससे पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बना और FATF जैसी संस्थाओं ने कार्रवाई की।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने सिर्फ सैन्य स्तर पर नहीं, बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी आक्रामक रुख अपनाया है। विपक्ष और सत्ता पक्ष के सांसदों को एक साथ विदेश भेजना यह दर्शाता है कि आतंकवाद के मुद्दे पर भारत में एकता है। आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात और इन डेलिगेशन की रिपोर्ट देश की विदेश नीति की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकती है।
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