July 4, 2025 10:48 PM

ऑपरेशन सिंदूर में निर्णायक भूमिका निभाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को पदोन्नति–

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सेना के उप प्रमुख (रणनीति) बनाए गए, डीजीएमओ की जिम्मेदारी भी निभाते रहेंगे

नई दिल्ली। भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को एक और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है। उन्हें सेना के उप प्रमुख (रणनीति) के पद पर पदोन्नत किया गया है। वर्तमान में वे सैन्य संचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) की अहम भूमिका निभा रहे हैं, जिसे वे आगे भी संभालते रहेंगे।

लेफ्टिनेंट जनरल घई हाल ही में ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के दौरान भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम वार्ता में भारत की ओर से रणनीतिक नेतृत्व करने के लिए चर्चा में आए थे। यह वही ऑपरेशन है जिसने भारत की कूटनीतिक और सैन्य रणनीति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से प्रस्तुत किया।

रणनीतिक और सैन्य नेतृत्व में तीन दशक का अनुभव

लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई का सैन्य कॅरियर 33 वर्षों से अधिक का है, जिसमें उन्होंने विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सेवा दी है। उनका अनुभव परिचालन, कमान और स्टाफ असाइनमेंट्स के सभी स्तरों पर गहरा है।

उन्होंने दिसंबर 1989 में कुमाऊं रेजिमेंट में कमीशन प्राप्त किया था और अपनी सैन्य शिक्षा देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी से पूरी की।

ऑपरेशन सिंदूर: घई की निर्णायक भूमिका

अक्टूबर 2024 में डीजीएमओ नियुक्त होने के बाद, उन्होंने पहली बार बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ध्यान तब खींचा जब उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में भारत की ओर से सैन्य वार्ताओं का प्रतिनिधित्व किया। यह ऑपरेशन भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम की बहाली से जुड़ा था, जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल घई ने सैन्य शांति नीति को लागू करने में निर्णायक भूमिका निभाई।

सैन्य अभियानों में अग्रणी

  • लेफ्टिनेंट जनरल घई ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए तैनात डिवीजन में कर्नल जनरल स्टाफ की भूमिका निभाई।
  • सेना मुख्यालय में उन्होंने सैन्य संचालन निदेशालय में ब्रिगेडियर के रूप में योगदान दिया।
  • उन्होंने पश्चिमी सीमा पर एक बटालियन, एक ब्रिगेड और उत्तरी सीमाओं पर एक डिवीजन की कमान संभाली है, जो उनके गहरे परिचालन कौशल को दर्शाता है।

आगे की भूमिका

बतौर सेना के उप प्रमुख (रणनीति) वे भारतीय सेना की दीर्घकालिक रणनीतिक दिशा और युद्ध नीति निर्माण की अगुवाई करेंगे। साथ ही डीजीएमओ के रूप में सीमा पर सैन्य संचालन की निगरानी भी करते रहेंगे।

यह पदोन्नति भारत की सुरक्षा रणनीति को अनुभवी सैन्य नेतृत्व के हाथों में सौंपने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।


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