
नई दिल्ली। पाकिस्तान के खिलाफ चले ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोमवार को भारतीय सेना की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब पत्रकारों ने सवालों की बौछार की, तो एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती ने हर सवाल का जवाब न केवल तथ्यों के साथ दिया बल्कि कूटनीतिक संकेत भी साफ़ किए। उन्होंने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर और रामचरित मानस के दोहों के माध्यम से पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष लेकिन सशक्त संदेश भी दिया।
❖ सवाल 1: क्या भारत ने किराना हिल्स पर हमला किया?
इस संवेदनशील सवाल पर एयर मार्शल भारती ने बड़ी चतुराई और व्यंग्यपूर्ण अंदाज़ में जवाब दिया –
“हमें शुक्रिया कि आपने बताया किराना हिल्स में न्यूक्लियर स्टोरेज है। हमें इसके बारे में पता नहीं था। हमने वहां कोई हमला नहीं किया और न ही कल की ब्रीफिंग में इसका ज़िक्र किया था।”
पृष्ठभूमि में किराना हिल्स क्या है?
यह पाकिस्तान के सरगोधा क्षेत्र का एक मिलिट्री ज़ोन है, जिसे कथित रूप से परमाणु हथियारों के भूमिगत भंडारण के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का एक अत्यंत संवेदनशील केंद्र माना जाता है।

❖ सवाल 2: तुर्किये के ड्रोन गिराए गए, क्या संदेश है?
एयर मार्शल भारती ने सीधे जवाब देने के बजाय एक शक्तिशाली सांस्कृतिक संदर्भ से पाकिस्तान को चेताया।
“दिनकर की कविता ‘याचना नहीं अब रण होगा’ से प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत की गई। और मानस का दोहा याद दिला दूं –
बिनय न मानत जलधि जड़, गए तीन दिन बीती बोले राम सकोप तब, भय बिनु होय न प्रीति।”
इसका अर्थ साफ़ था—शांति की बात तब तक बेअसर है जब तक दुश्मन को डर न हो। तुर्की के ड्रोन हों या किसी अन्य देश के, भारतीय सेना हर तकनीक का सामना करने को तैयार है।
❖ सवाल 3: पाकिस्तान ने सबूत क्यों नहीं दिए? क्या वे भ्रम फैला रहे हैं?
जवाब में भारती ने स्पष्ट कहा –
“हमने अपना काम किया और सबूत दिए। पाकिस्तान ने कुछ नहीं बताया। वे अपनी जनता को भ्रमित कर रहे हैं। हमने जो ऑपरेशन किया उसमें आतंकवादियों को निशाना बनाया, और जो लोग मारे गए हैं, वे कौन थे—ये भी पाकिस्तान खुद नहीं बता रहा।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि लश्कर और जैश जैसे संगठनों के प्रमुखों के परिजन मारे गए, लेकिन पाकिस्तान खुद को असमंजस में दिखा रहा है।
❖ सवाल 4: आसमान में बड़ी जंग देखी गई। क्या यह सबसे बड़ा एरियल कॉम्बैट था?
इस सवाल पर एयर मार्शल ने तकनीकी बारीकी को बड़े सहज उदाहरण से समझाया। उन्होंने कहा:
“हर लड़ाई एक जैसी नहीं होती। इसे समझने के लिए क्रिकेट का उदाहरण लें। एशेज सीरीज़ भी पांच मैचों की होती है और आईपीएल भी, लेकिन उनका स्तर, दबाव और लक्ष्य अलग होते हैं। यह लड़ाई एक टेस्ट मैच थी—लंबी, गहरी रणनीति वाली और हर कदम सोच-समझकर रखा गया।”
इस तुलना से उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह कोई हल्का-फुल्का सैन्य जवाब नहीं था, बल्कि एक उच्च स्तरीय, बहुस्तरीय ऑपरेशन था जिसमें सटीक प्लानिंग, टारगेट इंटेलिजेंस, और वायुसेना की कई इकाइयों का समन्वय शामिल था।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि:
“हमने न सिर्फ आतंकियों को टारगेट किया, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, ड्रोन डिफेंस, मल्टीलेयर एयर डिफेंस और कमांड कंट्रोल सेंटर के समन्वय से यह साबित किया कि भारत अब सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं करता—अब हम पहल करते हैं, सटीक करते हैं।”

भारतीय सेना की यह प्रेस कॉन्फ्रेंस केवल सूचना नहीं थी, यह पाकिस्तान के लिए एक कड़ा संदेश थी कि भारत अब आतंकवाद और आतंकियों को सिर्फ़ शब्दों में नहीं, एक्शन में जवाब देगा।
दिनकर, तुलसीदास, क्रिकेट रणनीति और आधुनिक टेक्नोलॉजी के संगम ने इस संवाद को केवल सैन्य नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और रणनीतिक आयामों से सशक्त बना दिया।
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