वाशिंगटन/तेहरान।
ईरान-इजराइल युद्ध के बीच अमेरिका ने इतिहास का सबसे बड़ा और गोपनीय सैन्य अभियान अंजाम दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर रविवार सुबह अमेरिका ने 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर' नाम से एक बेहद सटीक और गुप्त हमला करते हुए ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों— फोर्डो, नतांज और इस्फहान को निशाना बनाया।

इस सैन्य कार्रवाई को लेकर पेंटागन में अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ और संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ के प्रमुख जनरल डैन केन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विस्तृत जानकारी दी।

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कैसे अंजाम दिया गया ऑपरेशन 'मिडनाइट हैमर'?

  • ऑपरेशन को पूर्वी अमेरिका समयानुसार सुबह 6:40 बजे शुरू किया गया और सात बजे से पहले ही सभी अमेरिकी विमान ईरानी हवाई क्षेत्र से बाहर निकल चुके थे।
  • इस अभियान में अमेरिका के 125 से अधिक फाइटर जेट, बमवर्षक, टैंकर विमान और जासूसी एयरक्राफ्ट शामिल थे।
  • हमले में मुख्य रूप से B-2 स्टील्थ बमवर्षकों का प्रयोग हुआ, जो अमेरिकी राज्य मिसौरी से उड़ान भरकर सीधे ईरान पहुंचे।
  • हर बमवर्षक ने करीब 30,000 पाउंड वजन के 'बंकर-बस्टर बम' गिराए। ये बम खासतौर पर ज़मीन के नीचे छिपे ठिकानों को तबाह करने के लिए बनाए गए हैं।

पेंटागन ने बताया कि यह मिशन 9/11 के बाद B-2 विमानों की सबसे लंबी और सटीक उड़ान थी।

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हमले का उद्देश्य: ईरान का परमाणु कार्यक्रम ध्वस्त करना

जनरल डैन केन के अनुसार, "यह हमला पूरी तरह ईरान के परमाणु बुनियादी ढांचे को खत्म करने के लिए किया गया था।"
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने इन ठिकानों पर इस तरह सर्जिकल स्ट्राइक की कि आम नागरिकों को कोई नुकसान न पहुंचे
फोर्डो और नतांज वर्षों से ईरान के संवेदनशील यूरेनियम संवर्धन केंद्र रहे हैं, जबकि इस्फहान में मिसाइल और परमाणु तकनीक से जुड़ी सुविधाएं थीं।


'जरूरत पड़ी तो दोबारा करेंगे हमला': ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस से जारी अपने बयान में कहा:

“हमने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों को पूरी तरह खत्म कर दिया है। अगर ईरान सुधरने को तैयार नहीं हुआ, तो हम फिर हमला करेंगे।”

ट्रंप ने यह भी जोड़ा कि अमेरिका युद्ध नहीं चाहता, लेकिन ईरान द्वारा क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले हर कदम पर कठोर जवाब देने के लिए तैयार है


'सैनिकों या नागरिकों को निशाना नहीं बनाया गया'

रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने स्पष्ट किया कि,

“यह हमला सिर्फ परमाणु क्षमताओं को खत्म करने के उद्देश्य से किया गया। ईरानी सैनिकों या नागरिकों को निशाना नहीं बनाया गया।”

उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और पश्चिम एशिया में स्थायित्व बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा था।


वैश्विक प्रतिक्रिया: रूस ने जताया विरोध, न्यूक्लियर रेस की आशंका

रूस ने अमेरिकी कार्रवाई की निंदा करते हुए चेतावनी दी है कि इससे वैश्विक स्तर पर नए परमाणु हथियारों की होड़ शुरू हो सकती है।
रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा,

“एकतरफा सैन्य कार्रवाई से अंतरराष्ट्रीय कानूनों और परमाणु समझौतों का उल्लंघन हुआ है।”

वहीं, चीन और यूरोपीय संघ ने भी संयम बरतने की अपील की है


ईरान की प्रतिक्रिया: 'यह अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन'

ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन ने बयान जारी कर कहा है कि अमेरिकी हमले NPT (परमाणु अप्रसार संधि) और IAEA निगरानी प्रोटोकॉल का खुला उल्लंघन हैं।
तेहरान स्थित भारत में ईरानी दूतावास ने इस बयान को सोशल मीडिया पर साझा किया है।
बयान में कहा गया कि ये हमले अंतरराष्ट्रीय कानूनों और मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं और इसका जवाब दिया जाएगा।


अब आगे क्या?

इस हमले के बाद पश्चिम एशिया में हालात और अधिक अस्थिर हो सकते हैं।
तेल की कीमतें, वैश्विक उड़ानों के रूट्स, और कूटनीतिक समीकरण तेजी से बदल सकते हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि ईरान ने पलटवार किया, तो यह युद्ध पूरे मध्य एशिया को अपनी चपेट में ले सकता है।



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