इंडी गठबंधन की निष्क्रियता पर भी उठाए सवाल, बोले—चुनाव हारे तो खुद पर सवाल करें, ईवीएम पर नहीं

श्रीनगर।
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कांग्रेस पार्टी और इंडी गठबंधन की निष्क्रियता पर तीखा बयान दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव जीत नहीं पा रहे हो तो बहाने मत बनाइए, और हर बार ईवीएम या चुनाव आयोग को दोष देना सही नहीं है।

उमर अब्दुल्ला का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब कांग्रेस ने हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा उपचुनाव और कुछ अन्य राज्यों में मिली हार के बाद ईवीएम और चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे।


'जीत नहीं हो रही तो सिस्टम को मत कोसिए'

उमर अब्दुल्ला ने कहा:

"अगर मैं किसी चीज़ में सफल नहीं हो रहा हूं, तो मैं उसके लिए बहाने नहीं बनाता। अगर मुझे चुनावी प्रक्रिया या उसके परिणामों से कोई शिकायत है, तो वह शिकायत तब भी होनी चाहिए जब मैं जीतूं।"

उन्होंने कहा कि कांग्रेस को आत्ममंथन करना चाहिए कि वह बार-बार क्यों हार रही है। हर बार सिस्टम को दोष देने से जनता का विश्वास नहीं जीता जा सकता।


'इंडी गठबंधन का क्या हाल है, यह भी देखिए'

उमर ने इंडी गठबंधन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि:

“2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से गठबंधन की एक भी बैठक नहीं हुई है। क्या यह गंभीरता है? यदि गठबंधन को मजबूत करना है तो संवाद और समन्वय जरूरी है, न कि मीडिया में बयानबाजी।”

नेशनल कांफ्रेंस कांग्रेस की स्वाभाविक सहयोगी पार्टी मानी जाती है, लेकिन उमर अब्दुल्ला के इस बयान से स्पष्ट है कि आंतरिक असहमति और रणनीतिक मतभेद अब सतह पर आने लगे हैं।


'हमने चुनाव जीता, पर कोई शोर नहीं मचाया'

उन्होंने अपने राज्य के संदर्भ में कहा,

“जब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुए, तो हमारी पार्टी को उम्मीद से ज्यादा सीटें मिलीं। हमने कोई शोर-शराबा नहीं किया, ना ही जीत के लिए सिस्टम को श्रेय दिया, और ना ही हार के लिए उसे दोषी ठहराया।”


कांग्रेस बार-बार उठा चुकी है ईवीएम का मुद्दा

कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद और उससे पहले भी कई मौकों पर ईवीएम की पारदर्शिता और चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर सवाल उठाए हैं। खासकर महाराष्ट्र उपचुनाव में हार के बाद पार्टी ने चुनाव आयोग और मशीनों की निष्पक्षता पर आरोप लगाए थे।


क्या है संदेश?

उमर अब्दुल्ला के इस बयान से यह साफ है कि अब इंडी गठबंधन में मतभेद और असंतोष खुलकर सामने आने लगा है। गठबंधन की बड़ी पार्टियों को यदि भीतर से ही सहयोगियों का भरोसा नहीं मिल रहा है, तो आगामी विधानसभा चुनावों में यह गठबंधन कितनी एकजुटता दिखा पाएगा, यह एक बड़ा सवाल है।