मस्कट/तेहरान। पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और परमाणु गतिविधियों को लेकर जारी वैश्विक चिंता के बीच ईरान और अमेरिका के बीच ओमान की राजधानी मस्कट में हाल ही में एक अहम वार्ता हुई। इस गोपनीय मुलाकात में दोनों देशों के अधिकारियों ने क्षेत्रीय शांति, ईरान की परमाणु नीति, और मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर चर्चा की। इस बातचीत को लेकर अब ईरान ने सकारात्मक संकेत दिए हैं। तेहरान ने कहा है कि यदि वाशिंगटन “वास्तविक इच्छाशक्ति” दिखाए और “व्यावहारिक दृष्टिकोण” अपनाए, तो यह बातचीत एक समझौते की दिशा में बढ़ सकती है।
ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर क़नअनी ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में कहा, “ईरान और अमेरिका के बीच ओमान में हुई बातचीत एक रूटीन डिप्लोमैटिक प्रक्रिया का हिस्सा है। अगर अमेरिका ईमानदारी और पारदर्शिता से आगे बढ़ता है तो इस प्रक्रिया से एक टिकाऊ समझौता निकाला जा सकता है।”
परमाणु मुद्दा फिर से केंद्र में
यह बातचीत उस समय हुई है जब ईरान की परमाणु गतिविधियों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता लगातार बनी हुई है। 2015 में हुए जॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) से अमेरिका 2018 में ट्रंप प्रशासन के तहत बाहर हो गया था। इसके बाद ईरान ने भी धीरे-धीरे समझौते की शर्तों का उल्लंघन शुरू कर दिया। अब बाइडन प्रशासन के कार्यकाल में यह पहली बार नहीं है जब दोनों देशों ने अप्रत्यक्ष या गुप्त चैनलों से बातचीत की हो, लेकिन इस बार बातचीत का स्वर थोड़ा ज्यादा “संभावनाओं से भरपूर” बताया जा रहा है।
अमेरिका की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं
हालांकि अमेरिका ने अभी तक इस वार्ता को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। लेकिन अमेरिकी मीडिया के अनुसार, व्हाइट हाउस की ओर से मिडिल ईस्ट में शांति बनाए रखने और ईरान को परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकने के लिए सभी विकल्प खुले रखे गए हैं।
तेहरान ने रखी यह शर्तें
ईरान ने स्पष्ट किया है कि समझौता तभी संभव होगा जब अमेरिका:
- JCPOA में वापसी के संकेत दे।
- ईरान पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने की प्रतिबद्धता जताए।
- क्षेत्रीय मामलों में हस्तक्षेप कम करे।
ओमान की भूमिका अहम
ओमान को लंबे समय से एक ‘न्यूट्रल ब्रोकर’ की भूमिका में देखा जाता रहा है। इससे पहले भी 2013-2015 के बीच हुए ईरान-अमेरिका बैक चैनल संवाद में ओमान की भूमिका निर्णायक रही थी। अब एक बार फिर मस्कट इस प्रकार की गुप्त कूटनीति का मंच बन रहा है।
तनाव के बीच संवाद की उम्मीद
मध्य-पूर्व में इज़राइल-ईरान तनाव, यमन में हूती विद्रोहियों के साथ अमेरिकी सेना की झड़पें, और गाजा संकट जैसे मुद्दों के बीच यह बातचीत एक राहत की उम्मीद जगाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह संवाद आगे बढ़ा तो ना सिर्फ परमाणु मुद्दे पर नियंत्रण होगा बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता को भी मजबूती मिलेगी।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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