- असम और अरुणाचल प्रदेश बाढ़ और भूस्खलन की दोहरी मार झेल रहे
- 12 लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापन की त्रासदी झेल रहे
गुवाहाटी/ईटानगर। पूर्वोत्तर भारत में मानसून ने तबाही मचा रखी है। असम और अरुणाचल प्रदेश बाढ़ और भूस्खलन की दोहरी मार झेल रहे हैं। असम में जहां कुछ जिलों में मामूली राहत के संकेत मिले हैं, वहीं अरुणाचल प्रदेश में हालात लगातार गंभीर बने हुए हैं। अब तक कुल 12 लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापन की त्रासदी झेल रहे हैं।
असम: 5.6 लाख से अधिक प्रभावित, ट्रेनें प्रभावित
असम में गुरुवार को बाढ़ की स्थिति में थोड़ा सुधार देखा गया, लेकिन अब भी 12 जिलों में 5.6 लाख से ज्यादा लोग इसकी चपेट में हैं। श्रीभूमि जिला सबसे अधिक प्रभावित है, जहां 2.15 लाख से ज्यादा लोग पीड़ित हैं। रेल सेवा भी बाधित हुई है — कई कम दूरी की ट्रेनें रद्द की गई हैं, जबकि लंबी दूरी की ट्रेनें सीमित संचालन में हैं। अब तक बाढ़ और भूस्खलन से 21 लोगों की मौत हो चुकी है।
काजीरंगा नेशनल पार्क जलमग्न, सेना कर रही राहत कार्य
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में भी बाढ़ का पानी भर गया है, जिससे वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। असम राइफल्स और सेना द्वारा चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन जलराहत’ के तहत हजारों लोगों को सुरक्षित निकाला गया है।
अरुणाचल प्रदेश: 33 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित, 481 घर तबाह

अरुणाचल प्रदेश में हालात और चिंताजनक हैं। लगातार बारिश और भूस्खलन की वजह से अब तक 33 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित, 481 घर क्षतिग्रस्त और 432 पशु मारे गए हैं। 24 जिलों के 214 गांव इस प्राकृतिक आपदा की चपेट में हैं। अधिकतर नदियां उफान पर हैं, हालांकि कुछ जगहों पर पानी का स्तर अब भी चेतावनी सीमा से नीचे है।
मौतों का आंकड़ा बढ़ा, सबसे ज्यादा भूस्खलन से जान गई
अब तक हुई 12 मौतों में से 9 की जान भूस्खलन, 1 की बाढ़ और 2 की अन्य आपदाजनित घटनाओं में गई है। मृतकों में पूर्वी कामेंग, निचला सुबानसिरी, लोंगडिंग, लोहित और अंजॉ जिलों के निवासी शामिल हैं। इसके अलावा 4 लोग घायल भी हुए हैं।

चुनौती बड़ी, प्रशासन अलर्ट
दोनों राज्यों में जिला प्रशासन, आपदा प्रबंधन एजेंसियां और सेना राहत व बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं। लेकिन तेज बारिश और पहाड़ी इलाकों में सड़क संपर्क टूटने से कई इलाकों में सहायता पहुंचाना मुश्किल हो रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर बारिश का यही क्रम जारी रहा, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। केंद्र से अतिरिक्त राहत पैकेज की मांग की गई है।