नितिन गडकरी ने कहा- भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए आयात घटाना और निर्यात बढ़ाना जरूरी

नागपुर। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि आज दुनिया कई चुनौतियों का सामना कर रही है, लेकिन भारत के पास उन्हें अवसर में बदलने की क्षमता है। “दुनिया झुकती है, बस झुकाने वाला चाहिए,” गडकरी ने नागपुर स्थित विश्वेश्वरैया नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (VNIT) में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा।

publive-image

गडकरी ने जोर देकर कहा कि सबसे बड़ी राष्ट्रभक्ति यही है कि हम आयात (Import) को कम करें और निर्यात (Export) को बढ़ाएं। उनके अनुसार, यदि भारत को विश्वगुरु बनना है तो आर्थिक आत्मनिर्भरता और तकनीकी श्रेष्ठता अनिवार्य है। “दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान विज्ञान, प्रौद्योगिकी और ज्ञान में छिपा है। यदि हम सही तरीके से इनका उपयोग करेंगे, तो हमें किसी के सामने झुकना नहीं पड़ेगा,” उन्होंने कहा।

यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा के तीन दिन बाद आया। यह नया टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा, जिससे भारत पर कुल 50% आयात शुल्क लगेगा। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गडकरी ने कहा कि दुनिया में कुछ देश आर्थिक ताकत के बल पर ‘दादागिरी’ कर रहे हैं, लेकिन भारत की संस्कृति दूसरों का कल्याण करने की है, न कि दूसरों पर वर्चस्व जमाने की।

गडकरी ने यह भी कहा कि देश के हर जिले और राज्य में अलग-अलग परिस्थितियां और चुनौतियां हैं। “जहां कचरा ज्यादा है, वहां भी तकनीक का उपयोग करके रोजगार और विकास के नए रास्ते खोले जा सकते हैं। हमारे वैज्ञानिक और संस्थान अगर इस दिशा में काम करें, तो देश की प्रगति और विकास दर तीन गुना बढ़ सकती है,” उन्होंने कहा।

गडकरी के विचारों से पहले, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने 8 अगस्त को नागपुर में कहा था कि दुनिया भारत को उसकी आध्यात्मिक संपदा के लिए महत्व देती है, न कि केवल आर्थिक विकास के लिए। भागवत के अनुसार, भले ही भारत की अर्थव्यवस्था 3 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो जाए, यह दुनिया के लिए कोई चमत्कार नहीं होगा, क्योंकि कई देश पहले ही यह उपलब्धि हासिल कर चुके हैं।

गडकरी और भागवत, दोनों के संदेश इस बात पर केंद्रित हैं कि भारत को वैश्विक नेतृत्व के लिए केवल आर्थिक ताकत ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और तकनीकी श्रेष्ठता भी जरूरी है