- दिल्ली के भारत मंडपम में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की जाएगी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज दिल्ली के भारत मंडपम में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की जाएगी। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब देश हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों को सफलतापूर्वक नष्ट कर चुका है। ऐसे में यह पहली बार होगा जब प्रधानमंत्री और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री एक मंच पर साथ मिलकर ‘विकसित भारत’ की दिशा में साझा सोच पर मंथन करेंगे।
बैठक का उद्देश्य: समावेशी विकास और आर्थिक मजबूती
नीति आयोग ने स्पष्ट किया है कि इस बैठक का उद्देश्य राज्यों को साझेदार बनाकर भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में ठोस रणनीति बनाना है। प्रधानमंत्री मोदी की ‘टीम इंडिया’ की अवधारणा को आगे बढ़ाते हुए यह बैठक एकजुट नीति और साझा विकास की आवश्यकता पर केंद्रित रहेगी। इस बैठक में 2025-26 के केंद्रीय बजट की प्रमुख पहलों, राज्यीय विकास रणनीतियों, और वैश्विक आर्थिक दबावों के बीच भारत की नीति-निर्माण प्रक्रिया पर भी चर्चा की जाएगी।
वैश्विक आर्थिक दबावों के बीच भारत की रणनीति
अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ, चीन की धीमी होती विकास दर और वैश्विक मंदी की आहट के बीच भारत की अर्थव्यवस्था पर कई प्रकार के दबाव हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक ने भारत की जीडीपी वृद्धि दर को 2025-26 के लिए क्रमशः 6.2% और 6.3% तक सीमित रहने का अनुमान जताया है। इसके बावजूद भारत को उम्मीद है कि आंतरिक मांग, निवेश और आधारभूत ढांचे पर खर्च के ज़रिए यह दर 6.7% तक पहुंच सकती है। नीति आयोग के सूत्रों के अनुसार, बैठक में राज्यों को आत्मनिर्भरता, स्थानीय रोजगार, और हरित ऊर्जा के क्षेत्रों में अधिक पहल करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
पिछली बैठक से सबक: राजनीतिक समन्वय की ज़रूरत
गौरतलब है कि पिछले वर्ष हुई गवर्निंग काउंसिल की बैठक में 10 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने भाग नहीं लिया था, जिससे केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय की कमी उजागर हुई थी। इस बार प्रधानमंत्री कार्यालय ने समय से पहले सभी राज्यों से सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।
विशेषज्ञों की नजर
आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे दौर में जब वैश्विक स्तर पर अस्थिरता बनी हुई है, नीति आयोग की यह बैठक भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है—यह दिखाने का कि वह राज्य-केंद्र साझेदारी से एक स्थिर, समावेशी और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ सकता है।