July 31, 2025 4:02 PM

श्रीहरिकोटा से 30 जुलाई को होगा उपग्रह ‘निसार’ का प्रक्षेपण

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इसरो और नासा का संयुक्त मिशन, पृथ्वी की निगरानी में करेगा मदद

इसरो-नासा का निसार उपग्रह 30 जुलाई को होगा लॉन्च, करेगा पृथ्वी की सटीक निगरानी

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ‘निसार’ उपग्रह 30 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 5:40 बजे प्रक्षेपित किया जाएगा। यह उपग्रह पृथ्वी की सतह की विस्तृत और नियमित निगरानी करने में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा।

1.5 बिलियन डॉलर की लागत, हर 12 दिन में करेगा पूरी पृथ्वी का स्कैन

इसरो ने सोमवार को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि नासा के साथ मिलकर तैयार किया गया यह उपग्रह लॉन्च के लिए तैयार है। निसार उपग्रह हर 12 दिन में एक बार पूरी पृथ्वी की भूमि और बर्फीली सतहों को स्कैन करेगा। यह दिन और रात, हर मौसम में उच्च-रिज़ॉल्यूशन आंकड़े भेजने में सक्षम होगा।

इस उपग्रह में नासा द्वारा विकसित एल-बैंड और इसरो द्वारा निर्मित एस-बैंड रडार लगाए गए हैं, जो पृथ्वी की सतह पर हो रहे सूक्ष्म परिवर्तनों का भी पता लगा सकते हैं। यह तकनीक भूमि के विरूपण, हिमाच्छादन में बदलाव और वनस्पति की स्थिति पर सटीक निगरानी रखने में सक्षम होगी।

प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी में उपयोगी

निसार मिशन को प्राकृतिक आपदाओं की रियल-टाइम निगरानी और त्वरित आपदा प्रबंधन में अत्यंत उपयोगी माना जा रहा है। यह उपग्रह भूकंप, सुनामी, भूस्खलन, बाढ़, समुद्री तूफानों और ज्वालामुखी विस्फोट जैसे घटनाओं पर तत्काल जानकारी उपलब्ध कराएगा, जिससे समय रहते राहत और बचाव कार्य संभव हो सकेगा।

कृषि और जलवायु परिवर्तन पर भी नजर

निसार से प्राप्त आंकड़े कृषि क्षेत्र के लिए भी वरदान साबित हो सकते हैं। यह उपग्रह मिट्टी की नमी, सतही जल स्रोतों की स्थिति और फसल के विकास की निगरानी करेगा। इसके अतिरिक्त, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और पर्यावरणीय बदलावों का भी विश्लेषण कर वैज्ञानिकों को सटीक जानकारी प्रदान करेगा।

इसरो-नासा साझेदारी का प्रतीक

इस मिशन को इसरो और नासा की एक दशक से अधिक चली तकनीकी साझेदारी का महत्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है। निसार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) उपग्रह विश्व में अपनी तरह का पहला उपग्रह होगा, जो इतने व्यापक स्तर पर और इतनी उच्च सटीकता से पृथ्वी की सतह की निगरानी करेगा।



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