इस साल 6 जून 2025 को हिंदू धर्म की सबसे महत्वपूर्ण और कठोर एकादशियों में से एक निर्जला एकादशी मनाई जाएगी। यह व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रखा जाता है, जिसमें पूरे दिन बिना जल ग्रहण किए उपवास का पालन किया जाता है। इसीलिए इसे ‘निर्जला’ एकादशी कहा जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति वर्षभर की सभी एकादशियों का व्रत नहीं रख सकता, तो वह केवल इस निर्जला एकादशी का व्रत करके पूरे साल की एकादशियों का फल प्राप्त कर सकता है। इसे सबसे बड़ा और पुण्यदायक व्रत माना गया है।

इस वर्ष की खासियत: बुध का राशि परिवर्तन और शुक्रवार का संयोग
इस बार निर्जला एकादशी का दिन शुक्रवार पड़ रहा है, जो माँ लक्ष्मी के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे व्रत की महत्ता और भी बढ़ जाती है।
साथ ही, ग्रहों के राजकुमार बुध भी 6 जून 2025 को अपनी स्वराशि मिथुन राशि में गोचर करेंगे। बुध का यह राशि परिवर्तन ज्योतिषीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि मिथुन राशि बुध का अपना स्वभाव है, जो संचार, बुद्धिमत्ता और अवसरों को बढ़ावा देता है। इस शुभ संयोग के कारण इस दिन की धार्मिक और ज्योतिषीय महत्ता दोगुनी हो जाती है।
निर्जला एकादशी पर दान का विशेष महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन दान करने का विशेष फल प्राप्त होता है। श्रद्धालु यदि मन, वचन और कर्म से दान करते हैं तो उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। खासकर कुछ चीजों का दान इस दिन अत्यंत शुभ और फलदायक माना गया है।
1. जल से भरा घड़ा (जलदान):
निर्जला एकादशी पर जलदान का सबसे बड़ा महत्व है। मिट्टी या तांबे के पात्र में जल भरकर जरूरतमंदों या प्यासे जीवों को देना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। जलदान से न केवल प्यासे प्राणियों की सेवा होती है, बल्कि व्यक्ति के मन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इसे जीवनदाता और पापनाशक भी कहा जाता है।
2. छाता दान:
गर्मी के मौसम में सूर्य की तेज़ किरणों से बचाव के लिए छाता दान करना भी बहुत शुभ माना गया है। किसी राहगीर, गरीब या साधु को छाता देना भगवान की कृपा अर्जित करने का साधन है। इससे दाता के जीवन में बाधाएं कम होती हैं और सुख-समृद्धि का वास होता है।
निर्जला एकादशी के अन्य लाभ और महत्व
- इस व्रत को रखने से शरीर की सभी बुराइयां और पाप नष्ट हो जाते हैं।
- मन की शुद्धि और आत्मा की उन्नति होती है।
- यह व्रत स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना गया है, क्योंकि निर्जला एकादशी में पानी का त्याग शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करता है।
- पूजा और ध्यान से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति मिलती है।
कौन-कौन सी राशियों को मिलेगा खास लाभ?
6 जून को बुध का मिथुन राशि में प्रवेश और शुक्रवार के साथ संयोग के कारण कुछ राशियों को विशेष लाभ मिलने की संभावना है। इनमें धन लाभ, नौकरी या व्यवसाय में सफलता, और पारिवारिक सुख-शांति बढ़ने के योग बन रहे हैं। ज्योतिष के अनुसार मिथुन राशि, कन्या राशि, और तुला राशि के जातकों के लिए यह समय बेहद शुभ रहेगा।
निर्जला एकादशी 2025 का यह पर्व धार्मिक आस्था के साथ-साथ ज्योतिषीय दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है। इस दिन का सही उपयोग करके श्रद्धालु अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। व्रत का पालन श्रद्धा और नियमपूर्वक करें, साथ ही जलदान और छाता दान जैसे पुण्यकर्म अवश्य करें, ताकि जीवन में समृद्धि और सुख-शांति बनी रहे।
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