निमिषा प्रिया की फांसी माफ होने की खबर झूठी: भारत सरकार का खंडन
नई दिल्ली। यमन में फांसी की सज़ा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को लेकर पिछले कुछ दिनों से मीडिया में चल रही राहत की खबरों को भारत सरकार ने पूरी तरह भ्रामक और मनगढ़ंत बताया है। सरकार के सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि यमन सरकार द्वारा उनकी मौत की सज़ा को माफ करने की कोई पुष्टि नहीं हुई है। यह मामला अत्यंत संवेदनशील है, और इसमें गलत सूचनाएं और अटकलें भ्रम पैदा कर रही हैं, जिससे बचना चाहिए।
क्या है मामला?
निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ जिले से हैं और एक ईसाई परिवार से ताल्लुक रखती हैं। वर्ष 2008 में वे नर्स की नौकरी के लिए यमन गई थीं। वहां उनकी जान-पहचान एक स्थानीय नागरिक तालाल अब्दो महदी से हुई, जिसके साथ उन्होंने एक क्लीनिक शुरू किया। लेकिन कुछ समय बाद दोनों के संबंध बिगड़ने लगे। महदी ने निमिषा का शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न शुरू कर दिया था। वह खुद को निमिषा का पति बताने लगा और उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया, जिससे वह भारत न लौट सके।
कैसे हुआ विवाद?
जानकारी के अनुसार, साल 2017 में निमिषा ने पासपोर्ट वापस लेने के लिए महदी को बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन इस प्रयास में महदी की मौत हो गई। इसके बाद यमन पुलिस ने निमिषा को गिरफ्तार कर लिया और 2018 में दोषी ठहराया। साल 2020 में यमन की अदालत ने निमिषा को मौत की सज़ा सुनाई थी।
कब दी गई फांसी की मंजूरी?
दिसंबर 2024 में यमन के राष्ट्रपति रशाद अल-आलीमी ने सज़ा को मंजूरी दी और जनवरी 2025 में हूती विद्रोहियों के नेता महदी अल-मशात ने इसकी पुष्टि भी कर दी। यानि सरकार स्तर पर यह फांसी की सज़ा अब भी मान्य और सक्रिय है।
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झूठी खबरों की पड़ताल
पिछले दो दिनों में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि यमन सरकार ने निमिषा की मौत की सज़ा रद्द कर दी है। इन रिपोर्टों में भारत के ग्रैंड मुफ्ती कहे जाने वाले कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय के हवाले से यह जानकारी दी गई थी। लेकिन भारत सरकार ने साफ तौर पर इसे खारिज करते हुए कहा है कि इस तरह की रिपोर्टें न केवल गैर-जिम्मेदाराना हैं, बल्कि एक गंभीर कानूनी प्रक्रिया को भ्रमित कर सकती हैं।
क्या कहती है सरकार?
सरकारी सूत्रों ने कहा –
“हमने निमिषा प्रिया के मामले के संबंध में तमाम दावे करने वाली रिपोर्टों को देखा है। ये रिपोर्टें गलत हैं। हम सभी से इस संवेदनशील मामले पर गलत सूचनाओं और अटकलों से बचने का आग्रह करते हैं।”
निष्पक्ष ट्रायल का सवाल भी उठाया गया
निमिषा प्रिया के खिलाफ चल रहे हत्या के मुकदमे को लेकर यह भी कहा गया है कि अब भी मामले में 160 गवाहों के बयान दर्ज नहीं हुए हैं। ऐसे में इस केस को सार्वजनिक बहस और मीडिया ट्रायल से दोषी या निर्दोष साबित करना उचित नहीं है।
भारत सरकार की भूमिका
भारत सरकार इस मामले में यमन प्रशासन से लगातार संपर्क में है और सभी कूटनीतिक और कानूनी प्रयास किए जा रहे हैं ताकि निमिषा को इंसाफ मिल सके। लेकिन तब तक किसी भी आधिकारिक पुष्टि के बिना अटकलबाजी से बचना जरूरी है।
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