एनआईए बोली – परिवार से बातचीत में लीक हो सकती हैं संवेदनशील जानकारियां
नई दिल्ली स्थित पटियाला हाउस कोर्ट में 26/11 मुंबई आतंकी हमले के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा की एक याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें उसने अपने परिजनों से बातचीत की अनुमति मांगी थी। लेकिन इस याचिका का विरोध करते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने कोर्ट से साफ कहा कि राणा को ऐसा कोई मौका नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि वह बातचीत के दौरान महत्वपूर्ण और संवेदनशील जानकारियां लीक कर सकता है।
कोर्ट ने फैसला 24 अप्रैल तक सुरक्षित रखा
इस मामले में एडिशनल सेशंस जज हरदीप कौर ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है और घोषणा की है कि अदालत 24 अप्रैल को निर्णय सुनाएगी। गौरतलब है कि एनआईए की तरफ से यह दलील दी गई कि राणा अब भी भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है और किसी भी तरह की छूट से जांच पर असर पड़ सकता है।
अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद हुई गिरफ्तारी
एनआईए ने राणा को 10 अप्रैल की शाम दिल्ली के पालम एयरफोर्स स्टेशन पर उतरते ही गिरफ्तार किया था। इसके बाद उसी रात लगभग 10 बजे उसे कोर्ट में पेश किया गया और 18 दिनों की हिरासत मिली।
राणा को भारत लाने के लिए भारतीय एजेंसियों की एक टीम अमेरिका भेजी गई थी, जब वहां की सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्यर्पण के खिलाफ राणा की याचिका खारिज कर दी थी।
राणा और हेडली – बचपन के दोस्त, आतंक की साजिश में साझेदार
तहव्वुर राणा और 26/11 के हमलों के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी बचपन के दोस्त हैं। दोनों ने एक ही पाकिस्तानी सैनिक स्कूल से पढ़ाई की थी।
राणा ने मुंबई में एक एजेंसी खोली थी, जिससे हेडली को भारत में आसानी से आवाजाही करने और हमले की साजिश रचने में मदद मिली। राणा पाकिस्तान मूल का कनाडाई नागरिक है और अमेरिका में उसे पहले भी आतंक से जुड़े मामलों में सजा हो चुकी है।
एनआईए के लिए संवेदनशील मोड़ पर मामला
एनआईए का मानना है कि तहव्वुर राणा अब भी पाकिस्तान या अन्य आतंकी नेटवर्क्स से जुड़ा हो सकता है और परिवार से बातचीत के बहाने किसी तरह की सूचना का आदान-प्रदान कर सकता है, जो भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। इसलिए उसकी याचिका का विरोध जरूरी था।
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