पूर्व पीएम झलनाथ खनाल के घर में आगजनी, पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार की मौत, नेपाल में हिंसा बेकाबू
काठमांडू।
नेपाल में जारी हिंसक प्रदर्शनों ने सोमवार को एक और भयावह मोड़ ले लिया। राजधानी काठमांडू और आसपास के इलाकों में फैली इस हिंसा का सीधा असर देश के शीर्ष नेताओं पर भी पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल के घर को आग के हवाले कर दिया। इस दौरान उनकी पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार आग की लपटों में बुरी तरह झुलस गईं। उन्हें तुरंत गंभीर हालत में कीर्तिपुर बर्न अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की हरसंभव कोशिश करने के बावजूद वह जीवन की लड़ाई हार गईं।
घटना का सिलसिला
सूत्रों के अनुसार, सोमवार दोपहर करीब तीन बजे प्रदर्शनकारी अचानक झलनाथ खनाल के निजी आवास के बाहर जमा हो गए। पहले उन्होंने वहां तोड़फोड़ की और फिर घर के हिस्सों में आग लगा दी। घर के भीतर मौजूद उनकी पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार बाहर निकल नहीं पाईं और लपटों की चपेट में आ गईं। पुलिस और स्थानीय लोगों ने किसी तरह उन्हें बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया। लेकिन गंभीर रूप से झुलसने के कारण उनकी हालत बिगड़ती चली गई और कुछ ही घंटों बाद उनकी मौत हो गई।

परिवार और समर्थकों में शोक
पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल उस समय घर पर मौजूद नहीं थे। घटना की जानकारी मिलते ही वह तुरंत अस्पताल पहुंचे। अस्पताल में मौजूद सूत्रों के अनुसार, खनाल बेहद दुखी नजर आए और उन्होंने कहा कि यह व्यक्तिगत क्षति उनके लिए अपूरणीय है। खनाल के समर्थकों और नेपाल के वामपंथी दलों ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा है कि हिंसा का यह स्वरूप लोकतांत्रिक आंदोलन को कलंकित करता है।

नेपाल में बढ़ती हिंसा का दायरा
यह घटना ऐसे समय हुई है जब नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ जनता का गुस्सा लगातार उबाल पर है। संसद भवन, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के आवास पर हमले के बाद अब नेताओं के निजी घर भी निशाने पर हैं। इससे यह साफ हो गया है कि आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया है और देश में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।

राजनीतिक और सामाजिक असर
राजलक्ष्मी चित्रकार की मौत ने नेपाल की राजनीति को हिला दिया है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे राजनीतिक तंत्र की असफलता को उजागर करती है। लोगों का गुस्सा नेताओं के खिलाफ सीधे हिंसक हमलों में बदल रहा है। विपक्षी दलों ने सरकार पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल रहने का आरोप लगाया है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी नेपाल की स्थिति को लेकर चिंता बढ़ गई है।
सरकार और सुरक्षा एजेंसियों पर सवाल
लगातार हो रही आगजनी और हमलों के बावजूद सुरक्षा बल समय पर नेताओं और उनके परिवारों की सुरक्षा नहीं कर पा रहे। राजलक्ष्मी चित्रकार की मौत के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर सरकार ने नेताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठाए। पुलिस और सेना की मौजूदगी के बावजूद प्रदर्शनकारी इतनी बड़ी घटनाओं को अंजाम देने में सफल हो रहे हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल की पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार की मौत न केवल उनके परिवार के लिए गहरा सदमा है, बल्कि यह नेपाल की मौजूदा स्थिति की भयावहता को भी दर्शाती है। देश में फैलती हिंसा ने अब लोकतांत्रिक आंदोलन की सीमाओं को तोड़ दिया है और आम से लेकर खास तक सभी को निशाना बना रही है। सवाल यह है कि क्या नेपाल की राजनीति और प्रशासन इस हिंसा पर काबू पा सकेगा या हालात और बिगड़ते जाएंगे।
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