नेपाल में एक बार फिर राजशाही की वापसी की मांग तेज हो गई है। शुक्रवार को राजधानी काठमांडू में उग्र प्रदर्शनकारियों ने हिंसक रूप धारण कर लिया, जिससे पूरे शहर में तनाव फैल गया। इस प्रदर्शन में कई संगठनों ने हिस्सा लिया, जिन्होंने मौजूदा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और राजशाही की बहाली की मांग उठाई। हालात इतने बेकाबू हो गए कि प्रशासन को कर्फ्यू लागू करने और सेना तैनात करने का फैसला करना पड़ा।

प्रदर्शन में हिंसा, आगजनी और पत्थरबाजी

शुक्रवार को काठमांडू के तिनकुने क्षेत्र में प्रदर्शनकारियों ने एक इमारत में जमकर तोड़फोड़ की और उसे आग के हवाले कर दिया। इसके अलावा, गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बल पर पत्थरबाजी भी की। स्थिति बिगड़ने पर सुरक्षाकर्मियों को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा। इस हिंसा में एक युवक की मौत हो गई, जिससे प्रदर्शन और भड़क गया।

कर्फ्यू और सेना की तैनाती

स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए प्रशासन ने काठमांडू में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू कर दिया है। इसके अलावा, सरकार ने अतिरिक्त सुरक्षा बलों और सेना की तैनाती कर दी है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सके।

राजशाही समर्थकों का विरोध और नारेबाजी

प्रदर्शनकारी हाथों में झंडे और बैनर लिए "राजा आओ, देश बचाओ", "भ्रष्ट सरकार मुर्दाबाद" और "हमें राजशाही वापस चाहिए" जैसे नारे लगा रहे थे। उन्होंने सरकार को एक हफ्ते का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया, तो आने वाले दिनों में प्रदर्शन और अधिक उग्र होगा।

40 से ज्यादा संगठनों की भागीदारी

इस आंदोलन में 40 से अधिक नेपाली संगठन शामिल हुए हैं, जिनका मानना है कि नेपाल की मौजूदा लोकतांत्रिक सरकार भ्रष्टाचार और कुशासन का केंद्र बन चुकी है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि देश की मौजूदा स्थिति को सुधारने के लिए एक बार फिर राजशाही शासन को बहाल करना ही एकमात्र समाधान है।

पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के बयान के बाद तेज हुआ आंदोलन

नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने 19 फरवरी को प्रजातंत्र दिवस के अवसर पर एक सार्वजनिक संबोधन दिया था, जिसमें उन्होंने जनता से समर्थन मांगा था। उन्होंने कहा था कि देश को मौजूदा हालात से निकालने के लिए एक मजबूत नेतृत्व की जरूरत है। उनके इस बयान के बाद से ही ‘राजा लाओ, देश बचाओ’ आंदोलन की तैयारियां शुरू हो गई थीं, जो अब सड़कों पर खुलकर दिखाई देने लगी हैं।

सरकार का रुख और आगे की स्थिति

नेपाल सरकार ने इस प्रदर्शन पर सख्त रुख अपनाया है और सुरक्षा बलों को आदेश दिया गया है कि किसी भी स्थिति में कानून-व्यवस्था बनाए रखी जाए। हालांकि, प्रदर्शनकारियों की मांगों को लेकर अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।

आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि नेपाल सरकार इस बढ़ते आंदोलन को कैसे संभालती है और क्या प्रदर्शनकारियों की मांगों को लेकर कोई बड़ा फैसला लिया जाता है।

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