September 17, 2025 6:00 AM

नेपाल में जारी उथल-पुथल और उसके असर से भारतीय सीमा क्षेत्रों की स्थिति

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  • नेपाल के घटनाक्रम से सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ी सतर्कता, भारतीय सीमा पर सख्त सुरक्षा व्यवस्था

नई दिल्ली। पड़ोसी देश नेपाल में जेन-जी आंदोलन की पृष्ठभूमि में हालात तेजी से बदल रहे हैं। शुक्रवार को नेपाल सरकार ने आपातकाल (इमरजेंसी) की घोषणा कर दी, जिसके बाद देशभर में सुरक्षा बलों की तैनाती और सख्ती बढ़ा दी गई है। इस राजनीतिक अस्थिरता का सीधा असर भारत-नेपाल सीमा पर भी देखने को मिल रहा है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से लगी सीमाओं पर चौकसी और सुरक्षा इंतजाम कड़े कर दिए गए हैं। हालांकि भारतीय इलाकों में हालात सामान्य दिखाई दे रहे हैं, लेकिन संवेदनशीलता को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हैं।

उत्तर प्रदेश सीमा: कड़ी निगरानी, वाहनों को अनुमति

उत्तर प्रदेश के बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर और गोंडा जिलों से सटी नेपाल सीमा पर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। नेपाल आर्मी और सशस्त्र प्रहरी बल ने स्थानीय लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। वहीं, भारतीय इमीग्रेशन पोस्ट पर खड़े सैकड़ों मालवाहक वाहनों को धीरे-धीरे नेपाल भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। लखीमपुर खीरी के गोरीफंटा बार्डर और सिद्धार्थनगर के बढ़नी सीमा पोस्ट से मालवाहक वाहनों को नेपाल में प्रवेश की अनुमति दी जा रही है, जिससे लंबे समय से फंसे सामान की आपूर्ति शुरू हो सकी है। स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है। उधर, नेपाल की जेलों से भागे कैदियों की संभावित घुसपैठ को रोकने के लिए सीमावर्ती इलाकों में निगरानी और गश्त बढ़ाई गई है।

बिहार सीमा: अतिरिक्त जवान तैनात, सीमित आवाजाही

बिहार में पूर्वी चंपारण जिले से लेकर अररिया तक करीब 227 किमी लंबी भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। एसएसबी ने जिला पुलिस और उत्पाद विभाग के साथ मिलकर 24 घंटे गश्त शुरू कर दी है। पूर्वी चंपारण में 300 अतिरिक्त जवान तैनात किए गए हैं, वहीं सीतामढ़ी जिले की 90 किमी लंबी सीमा पर विशेष निगरानी रखी जा रही है।
नेपाल में आंदोलन के पांचवें दिन भारतीय इलाके से आवश्यक वस्तुओं – खासकर राशन, गैस और दवाइयों की आपूर्ति शुरू हो गई है। हालांकि, अन्य कंटेनरों की जांच प्रक्रिया के कारण आवाजाही धीमी है। अररिया जिले के जोगबनी बार्डर पर फिलहाल सिर्फ पैदल आवाजाही की अनुमति है, जबकि वाहनों की एंट्री पर रोक लगी है। इससे 300 से अधिक ट्रक सीमा पर खड़े हैं।

पश्चिम बंगाल सीमा: पानीटंकी बार्डर पर हालात सामान्य

नेपाल से लगी पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होती दिख रही है। दार्जिलिंग जिले के पानीटंकी बार्डर से फंसे हुए आवश्यक माल के ट्रक नेपाल भेजे गए हैं। छोटे वाहन भी नेपाल जाने लगे हैं। वहीं, दो दिनों में 700 से अधिक भारतीय नागरिक नेपाल से लौटकर भारत आए हैं। हालांकि, नेपाली नागरिकों को भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है। सुरक्षा एजेंसियां साफ कर चुकी हैं कि हालात सामान्य दिखने के बावजूद किसी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी।

उत्तराखंड सीमा: झूला पुलों से हो रही आवाजाही

उत्तराखंड से सटे नेपाल के दार्चुला और बैतडी जिलों में धीरे-धीरे कर्फ्यू में ढील दी जा रही है। दार्चुला जिले के प्रशासन ने शुक्रवार को कर्फ्यू में आंशिक छूट दी, जिसके बाद नेपाली नागरिक झूला पुलों के जरिए भारत के पिथौरागढ़ के बाजारों में पहुंचे और आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी की।
हालांकि, भारतीय नागरिकों को फिलहाल नेपाल जाने की अनुमति नहीं है। चंपावत के बनबसा मार्ग को लगातार तीसरे दिन बंद रखा गया, लेकिन आपातकालीन सेवाओं से जुड़े वाहनों को छूट दी गई। ऊधम सिंह नगर के खटीमा क्षेत्र से लगे नेपाल के मेलाघाट और झनकइया इलाकों में भी एसएसबी और पुलिस चौकसी बरत रही है।

व्यापक सुरक्षा और जनजीवन पर असर

नेपाल में आपातकाल लागू होने के बाद भारत-नेपाल सीमा पर आम लोगों की गतिविधियों में भारी कमी आई है। छोटे व्यापारियों और सीमावर्ती गांवों के लोगों को रोजमर्रा की जरूरतों के लिए आने-जाने में कठिनाई हो रही है। हालांकि, भारतीय प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि आपातकालीन सामान और दवाइयां नेपाल पहुंचती रहें ताकि वहां मानवीय संकट गहराए नहीं।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने साफ कर दिया है कि नेपाल की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। फिलहाल भारतीय सीमा पर शांति और व्यवस्था बनी हुई है, लेकिन आपातकाल के लंबे खिंचने की स्थिति में इसका असर भारतीय इलाकों पर भी पड़ सकता है।

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