- बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में कम से कम 34 लोगों की मौत हो चुकी
- अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और मेघालय में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया
नई दिल्ली/इंफाल। देश के पूर्वोत्तर राज्यों में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने तबाही मचा दी है। बीते चार दिनों में आई बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में कम से कम 34 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा प्रभावित असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और मेघालय में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, जबकि सिक्किम में सैकड़ों पर्यटक फंसे हुए हैं।
असम: 3.6 लाख लोग संकट में, सेना की तैनाती
असम में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। 19 जिलों के 764 गांव पानी में डूब गए हैं और करीब 3.6 लाख लोग प्रभावित हैं। अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है। सेना, वायुसेना और असम रायफल्स को राहत कार्यों में लगाया गया है। त्रिपुरा में भी हालात बिगड़ रहे हैं, जहां 10 हजार से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हैं।

मणिपुर: सेना-राइफल्स ने 1,500 लोगों को बचाया
मणिपुर के कई जिले जलमग्न हो गए हैं। रविवार को सेना, असम रायफल्स और अग्निशमन दल ने 1,500 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला। कुछ तस्वीरों में जवानों को पीठ पर बच्चों और बुजुर्गों को उठाकर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाते देखा गया।
सिक्किम: 1,000 से अधिक टूरिस्ट फंसे
सिक्किम के मंगन जिले के लाचेन और लाचुंग इलाकों में 30 मई से 1,000 से ज्यादा पर्यटक फंसे हुए हैं। मंगन एसपी के अनुसार, तीस्ता नदी के उफान, पुल टूटने और लैंडस्लाइड के कारण रेस्क्यू संभव नहीं हो पाया है। सोमवार तक बचाव कार्य शुरू होने की उम्मीद है।

अरुणाचल, मिजोरम और मेघालय में भी जानें गईं
अरुणाचल प्रदेश में अब तक 9 लोगों की मौत, मिजोरम में 5 मौतें और मेघालय में 6 लोगों की जान जा चुकी है। इन सभी राज्यों में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है और कई इलाकों में संपर्क पूरी तरह टूट गया है।

मध्य भारत भी पानी-पानी
पूर्वोत्तर के साथ-साथ मध्य भारत में भी बारिश ने कहर ढाया है। मध्य प्रदेश के 50 और राजस्थान के 30 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। बिहार के वैशाली में रविवार शाम तेज आंधी और बारिश के कारण एक घर गिर गया, जिसमें 60 वर्षीय महिला की मौत हो गई। बिहार के 9 जिलों में आंधी-तूफान और बारिश की चेतावनी दी गई है। पूर्वोत्तर और मध्य भारत में मौसम की यह उथल-पुथल एक बार फिर बताती है कि प्राकृतिक आपदाओं के समय त्वरित राहत और मजबूत बुनियादी ढांचे की कितनी आवश्यकता है।
