राष्ट्रपति नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल और एंटी-डोपिंग संशोधन कानून को दी मंजूरी | खेल प्रशासन में सुधार की दिशा

नई दिल्ली। भारत में खेलों के प्रशासन और पारदर्शिता को लेकर लंबे समय से उठ रही मांगों के बीच सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, 2025 और नेशनल एंटी-डोपिंग (संशोधन) बिल, 2025 को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही देश में खेल प्रबंधन और डोपिंग नियंत्रण से जुड़ी व्यवस्था में बड़े बदलाव का रास्ता साफ हो गया है।


संसद में बिल का सफर

यह बिल 23 जुलाई को लोकसभा में केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने पेश किया था। 11 अगस्त को लोकसभा ने इसे बहस के बाद पारित कर दिया। इसके अगले ही दिन राज्यसभा में दो घंटे से अधिक चली चर्चा के बाद इसे मंजूरी मिली। अब राष्ट्रपति की सहमति के बाद यह कानून बन गया है।

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1975 से शुरू हुई पहल

खेल प्रशासन में सुधार लाने का प्रयास कोई नया नहीं है। 1975 से ही इस बिल को लाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन राजनीतिक कारणों और खेल संगठनों के दबाव के चलते यह कभी संसद तक नहीं पहुंच सका।

  • 2011 में नेशनल स्पोर्ट्स कोड लागू किया गया, जिसका उद्देश्य खेल संघों पर निगरानी रखना था।
  • बाद में इसे कानून का रूप देने की कोशिश की गई, लेकिन विभिन्न विवादों के चलते वह भी ठंडे बस्ते में चला गया।
  • अब 2036 ओलंपिक की बोली लगाने की दिशा में भारत की तैयारी के हिस्से के रूप में इस बिल को लाया गया है ताकि खेल प्रबंधन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो सके।

नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल के प्रावधान

इस कानून में खेलों के बेहतर संचालन और खिलाड़ियों को पारदर्शी व्यवस्था दिलाने के लिए कई अहम प्रावधान किए गए हैं।

  • नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बॉडी का गठन
  • नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड की स्थापना
  • खेल संघों के चुनाव के लिए नेशनल स्पोर्ट्स इलेक्शन पैनल
  • विवादों के समाधान और निष्पक्ष सुनवाई के लिए नेशनल स्पोर्ट्स ट्रिब्यूनल

इन संस्थाओं का मकसद खिलाड़ियों के हितों की रक्षा करना और खेल संगठनों में जवाबदेही सुनिश्चित करना है।

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BCCI पर क्यों नहीं लागू होगा RTI?

इस कानून में एक बड़ा संशोधन किया गया है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) पर यह कानून लागू नहीं होगा क्योंकि वह केंद्र सरकार से कोई अनुदान नहीं लेता।

  • केवल वही खेल संगठन इस कानून और आरटीआई (सूचना का अधिकार) के दायरे में आएंगे जो सरकारी मदद या अनुदान प्राप्त करते हैं।
  • हालांकि, कई संगठन और खेल विशेषज्ञ लगातार मांग कर रहे थे कि BCCI को भी पारदर्शिता के दायरे में लाया जाए।

नेशनल एंटी-डोपिंग (संशोधन) बिल, 2025

खेलों में डोपिंग रोकना भारत की एक बड़ी चुनौती रही है। 2022 में बने नेशनल एंटी-डोपिंग एक्ट को लेकर अंतरराष्ट्रीय एजेंसी WADA (वर्ल्ड एंटी-डोपिंग एजेंसी) ने कई आपत्तियां जताई थीं।

  • WADA ने कहा कि भारत में बने नेशनल बोर्ड फॉर एंटी-डोपिंग इन स्पोर्ट्स को NADA (नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी) पर निगरानी का अधिकार देना सरकारी हस्तक्षेप माना जाएगा।
  • यदि इस स्थिति को नहीं सुधारा जाता तो भारत पर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रतिबंध का खतरा था।

2025 में क्या बदला?

नए संशोधन के तहत:

  • बोर्ड (नेशनल बोर्ड फॉर एंटी-डोपिंग) बना रहेगा, लेकिन अब उसके पास NADA को नियंत्रित करने या निर्देश देने का अधिकार नहीं होगा।
  • NADA को पूरी तरह संचालन की स्वतंत्रता (Operational Independence) दी गई है।
  • अब डोपिंग मामलों में फैसले केवल विशेषज्ञ और संबंधित अधिकारी ही लेंगे, सरकार या राजनीतिक नियुक्त व्यक्तियों का हस्तक्षेप नहीं होगा।

बदलाव का असर और फायदे

  • भारत का एंटी-डोपिंग सिस्टम अब पूरी तरह WADA के मानकों के अनुरूप होगा।
  • खिलाड़ियों को डोपिंग मामलों में निष्पक्ष जांच और सुनवाई का भरोसा मिलेगा।
  • भारत की अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में साख बनी रहेगी और किसी तरह के प्रतिबंध या निलंबन का खतरा नहीं रहेगा।

नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल और एंटी-डोपिंग संशोधन कानून भारत के खेल ढांचे को नई दिशा देने वाले साबित हो सकते हैं। जहां एक ओर यह खिलाड़ियों को पारदर्शी व्यवस्था और विवादों का समाधान दिलाएगा, वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति मजबूत होगी। लंबे समय से अटके इस सुधार को मंजूरी मिलने से देश के खेल इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ गया है।