जोधपुर के पास बाड़मेर जिले में वायुसेना का “ऑपरेशन त्रिशूल”, इमरजेंसी एयर स्ट्रिप पर सुखोई और जगुआर फाइटर विमानों ने की सफल लैंडिंग

जोधपुर, 11 नवम्बर।
भारतीय वायुसेना  (Indian Air Force) ने मंगलवार को राजस्थान के बाड़मेर जिले के गांधव क्षेत्र में भारतमाला एक्सप्रेसवे (Bharatmala Expressway) 925ए पर एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की। सरहद से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर बनाई गई इस इमरजेंसी एयर स्ट्रिप पर भारतीय वायुसेना के जगुआर और सुखोई-30 फाइटर जेट्स ने सफलतापूर्वक लैंडिंग और टेकऑफ किया। यह अभ्यास “ऑपरेशन त्रिशूल” का हिस्सा था, जो जैसलमेर में चल रहे देश के सबसे बड़े युद्धाभ्यास “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद आयोजित किया गया।

यह एअर स्ट्रिप 3 किलोमीटर लंबी और 33 मीटर चौड़ी है, जिसे खासतौर पर युद्ध या आपात स्थिति में विमानों की लैंडिंग के लिए तैयार किया गया है। मंगलवार सुबह सबसे पहले भारतीय वायुसेना के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-295 ने “टच एंड गो” अभ्यास किया। इसके बाद जगुआर फाइटर जेट ने रनवे पर उतरकर तुरंत उड़ान भरी, और अंत में शक्तिशाली सुखोई-30 विमान ने सफल लैंडिंग की। यह भारतमाला एक्सप्रेसवे पर तीसरी बार है जब भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने लैंडिंग की है।

अभ्यास से पहले पूरे हाईवे पर आम यातायात को रोक दिया गया था। सुरक्षा कारणों से पूरे इलाके को सील कर दिया गया था और वायुसेना के साथ स्थानीय पुलिस व प्रशासन की टीमें मौके पर तैनात रहीं।

विंग कमांडर देवेंद्र पांडेय ने बताया कि यह ऑपरेशन वायुसेना की साउथ-वेस्टर्न कमांड के तहत किया गया। उन्होंने कहा, “इस अभ्यास का उद्देश्य हमारी इमरजेंसी एयर लैंडिंग फील्ड की कार्यक्षमता और वैलिडिटी का परीक्षण करना था। हमारे तीन विमानों में से दो फाइटर जेट—जगुआर और सुखोई(Sukhoi-30)  थे, जबकि तीसरा ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-295 था।”

गांधव की एयर स्ट्रिप आधुनिक सुविधाओं से लैस है। इसके दोनों सिरों पर 40 मीटर और 180 मीटर के दो पार्किंग क्षेत्र बनाए गए हैं, जहां फाइटर जेट्स को सुरक्षित रूप से खड़ा किया जा सकता है। इसके अलावा 25 गुणा 65 मीटर की एटीसी प्लिंथ पर डबल-मंजिला एटीसी टॉवर बनाया गया है, जिसमें सभी आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं।

हवाई पट्टी के साथ 3.5 किलोमीटर लंबी और 7 मीटर चौड़ी सर्विस रोड भी बनाई गई है, जिससे किसी भी आपात स्थिति में विमान या उपकरणों की आवाजाही में कोई बाधा न आए। यह एयर स्ट्रिप रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत-पाक सीमा के बेहद निकट स्थित है।

भारतमाला परियोजना के तहत पूरे देश में 25 इमरजेंसी एयर स्ट्रिप्स का निर्माण किया जा रहा है। इनमें से 12 को सार्वजनिक रखा गया है, जबकि 13 को सुरक्षा कारणों से गोपनीय रखा गया है। पहले चरण में राजस्थान, गुजरात, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में ऐसी स्ट्रिप्स का निर्माण पूरा किया जा रहा है।

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के हाईवे एयर स्ट्रिप्स भविष्य में युद्ध या आपदा की स्थिति में भारतीय वायुसेना की तैनाती क्षमता को बेहद मजबूत करेंगे। इससे सीमावर्ती इलाकों में त्वरित कार्रवाई संभव होगी और वायुसेना को रणनीतिक बढ़त मिलेगी।

इस महा-अभ्यास के दौरान वायुसेना के जवानों ने जमीनी स्तर पर भी आपातकालीन हालात से निपटने की तैयारियों का प्रदर्शन किया। यह ऑपरेशन वायुसेना की तकनीकी दक्षता और तीव्र प्रतिक्रिया क्षमता का जीवंत उदाहरण माना जा रहा है।

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