साइबर अपराध और डिजिटल धोखाधड़ी रोकने के लिए सरकार ने उठाया बड़ा कदम, 120 दिनों में कंपनियों को देनी होगी रिपोर्ट 

नई दिल्ली । देश में तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराध और डिजिटल धोखाधड़ी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने मैसेजिंग ऐप को लेकर सख्त नीति लागू कर दी है। दूरसंचार विभाग ने घोषणा की है कि अब भारत में चल रहे सभी मैसेजिंग प्लेटफार्मों पर सिम बाइंडिंग अनिवार्य होगी। इसका मतलब यह है कि यदि किसी मोबाइल फ़ोन में सिम कार्ड नहीं है या सिम निकाल दी गई है, तो उस फ़ोन में कोई भी मैसेजिंग ऐप नहीं चल सकेगा। इन नियमों को अगले 90 दिनों में पूरे देश में लागू किया जाएगा। सरकार द्वारा 28 नवंबर को जारी नोटिस में स्पष्ट किया गया कि नियम लागू होने के बाद ऐप हर छह घंटे में स्वयं जाँच करेगा कि उपयोगकर्ता का सिम कार्ड अभी भी उसी फ़ोन में मौजूद है या नहीं। यदि नहीं है, तो ऐप अपने आप लॉग आउट हो जाएगा और उपयोग जारी नहीं हो सकेगा।

दूरसंचार विभाग ने जारी की चेतावनी

दूरसंचार विभाग ने मैसेजिंग सेवाएं देने वाली सभी कंपनियों को आदेश दिया है कि वे तुरंत सिम बाइंडिंग प्रणाली अपनाएँ और निर्धारित समयसीमा में इसे पूरी तरह लागू करें। विभाग ने कहा है कि सभी कंपनियों को 120 दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट देनी होगी, जिसमें यह बताया जाए कि उन्होंने इस व्यवस्था को किस प्रकार लागू किया और इसके क्या प्रभाव रहे। विभाग ने यह भी स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि किसी कंपनी ने नए निर्देशों का पालन नहीं किया, तो उसके विरुद्ध दूरसंचार अधिनियम 2023 और दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियमों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 

क्या है सिम बाइंडिंग?

सिम बाइंडिंग का सीधा अर्थ यह है कि जिस सिम से आपने ऐप में पंजीकरण किया है, वह ऐप केवल उसी फ़ोन में सक्रिय रह सकता है। यदि सिम निकाल ली गई सिम किसी दूसरे फ़ोन में डाल दी गई या ऐप किसी दूसरे फ़ोन में खोलने की कोशिश की गई तो ऐप कुछ ही समय में अपने आप बंद हो जाएगा और उपयोगकर्ता को फिर से उसी सिम के साथ पंजीकरण करना होगा। इस व्यवस्था का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उपयोगकर्ता की पहचान और उसके खाते की सुरक्षा सीधे उसके मोबाइल फ़ोन से जुड़ी रहे और कोई बाहरी व्यक्ति उसकी पहचान का दुरुपयोग न कर सके।

सरकार ने क्यों उठाया यह कदम?

सरकार का कहना है कि इस कदम से सीमा पार से होने वाले साइबर अपराध, विशेष रूप से डिजिटल धोखाधड़ी, पर बड़ा असर पड़ेगा। 2024 के आँकड़ों के अनुसार देश को साइबर धोखाधड़ी के कारण 22,800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ  बड़ी संख्या में फर्जी सिम, फर्जी प्रोफ़ाइल और दूसरे देशों से संचालित अपराधी मैसेजिंग ऐप का उपयोग करते रहे सरकार का तर्क है कि यदि ऐप केवल सिम कार्ड के साथ ही सक्रिय रहेंगे, तो फर्जी प्रोफ़ाइल बनाना मुश्किल होगा। किसी भी अपराधी के लिए पीड़ित का ऐप दूसरे फ़ोन में खोलकर धोखाधड़ी करना लगभग असंभव हो जाएगा। यह व्यवस्था पहचान चोरी, वित्तीय धोखाधड़ी, नकली लिंक भेजने और ऑनलाइन ठगी की घटनाओं को काफी हद तक रोक सकेगी।