December 23, 2024 4:28 PM

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रघुराम राजन ने मोदी सरकार की बैंकिंग सुधार नीतियों की की तारीफ, संप्रग सरकार के दौरान भ्रष्टाचार को बताया जिम्मेदार

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"Raghuram Rajan discusses Modi government’s banking reforms."

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने हाल ही में एक साक्षात्कार में मोदी सरकार की बैंकिंग सुधार नीतियों की प्रशंसा की। खासकर, उन्होंने संप्रग सरकार के दौरान बढ़ते भ्रष्टाचार और उसके कारण देश के बैंकिंग सिस्टम में बैड लोन (बुरे ऋण) के बढ़ने की ओर इशारा किया। इसके साथ ही उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली की कार्यशैली की भी सराहना की, जो एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) पर काबू पाने के लिए प्रभावी कदम उठा रहे थे।

संप्रग सरकार में भ्रष्टाचार का असर

रघुराम राजन ने कहा कि संप्रग सरकार के दौरान भ्रष्टाचार के कारण बैंकों में एनपीए की समस्या काफी बढ़ गई थी। उन्होंने विशेष रूप से बताया कि कैसे बैंकों द्वारा किए गए ऋण वितरण में पारदर्शिता की कमी और अधिकारियों की लापरवाही ने स्थिति को और जटिल बना दिया। राजन के अनुसार, संप्रग सरकार में बैंकों के पास बढ़ते बैड लोन की बड़ी वजह यही थी कि बैंकों ने बिना सही प्रक्रिया और सही जांच के काफी पैसे बांटे थे।

अरुण जेटली के साथ बातचीत

रघुराम राजन ने अपनी बातचीत को विस्तार से साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि किस तरह अरुण जेटली ने उन्हें बैड लोन की समस्या पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित किया। राजन ने कहा कि जब उन्होंने जेटली से एनपीए की समस्या के बारे में बात की, तो जेटली ने उन्हें सीधे तौर पर कहा था, “ठीक है, आगे बढ़ो।” इस समर्थन से राजन को विश्वास मिला कि वे बैंकिंग सुधार के मामले में सही दिशा में काम कर रहे हैं।

मोदी सरकार की प्रशंसा

राजन ने मोदी सरकार की बैंकिंग नीति की भी तारीफ की, खासकर बैंकों को राइट-ऑफ के माध्यम से सुधार की दिशा में किए गए प्रयासों को। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने बैंकों को एनपीए से उबारने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिनका असर साफ तौर पर देखने को मिला है। राजन के अनुसार, यह बदलाव बैंकिंग क्षेत्र को एक नई दिशा देने के लिए आवश्यक थे, और मोदी सरकार ने इस दिशा में उचित कदम उठाए हैं।

2008 से पहले का बैंकिंग परिदृश्य

रघुराम राजन ने इस साक्षात्कार में 2008 से पहले के बैंकिंग परिदृश्य का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उस समय बैंकों को कोई कठिनाई नहीं होती थी और वे कारोबारियों के पीछे चक्कर लगाते रहते थे, यह सुनिश्चित करने के लिए कि उन्हें कितना पैसा चाहिए। राजन ने बताया कि पहले बैंकों को समय पर भुगतान मिल जाता था, क्योंकि परियोजनाओं की गति तेज थी और सब कुछ सुचारु रूप से चल रहा था। लेकिन 2008 की मंदी ने इन स्थितियों को बदल दिया, जिससे बैंकों को अपनी नीतियों में बदलाव लाने पड़े।

रघुराम राजन के इस साक्षात्कार से यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली की नीतियों का समर्थन किया है, जबकि उन्होंने पूर्व संप्रग सरकार में बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि मोदी सरकार ने बैंकों को बचाने और उनकी स्थिति सुधारने के लिए कई आवश्यक कदम उठाए हैं, जिनका सकारात्मक असर बैंकिंग क्षेत्र और समग्र अर्थव्यवस्था पर पड़ा है।

रघुराम राजन का यह बयान भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दर्शाता है कि वह अब मोदी सरकार की नीतियों की सराहना कर रहे हैं, जिनके बारे में उन्होंने पहले आलोचनात्मक रुख अपनाया था।

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