कहा: आज़ादी इच्छा नहीं, सामर्थ्य, श्रम और संगठित संकल्प से मिलती है

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के स्वतंत्रता संग्राम के एक ऐतिहासिक क्षण को याद करते हुए नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने 30 दिसंबर 1943 को पोर्ट ब्लेयर में तिरंगा फहराने के लिए नेताजी के साहस और दृढ़ संकल्प की सराहना की। पीएम मोदी ने कहा कि यह घटना केवल एक प्रतीकात्मक क्षण नहीं थी, बल्कि भारत की आज़ादी के संघर्ष में आत्मबल, संगठन और त्याग की भावना का जीवंत उदाहरण थी।

प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर नेताजी को याद करते हुए लिखा कि यह ऐतिहासिक पल हमें यह सिखाता है कि स्वतंत्रता केवल इच्छा करने से नहीं मिलती, बल्कि उसके लिए सामर्थ्य, कड़ी मेहनत, न्याय और संगठित संकल्प की आवश्यकता होती है। पीएम मोदी का यह संदेश ऐसे समय आया है, जब देश आज़ादी के नायकों के योगदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने पर विशेष जोर दे रहा है।

1943 का ऐतिहासिक दिन और पोर्ट ब्लेयर में तिरंगा

30 दिसंबर 1943 का दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी दिन आज़ाद हिंद फ़ौज के प्रमुख सुभाष चंद्र बोस ने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में पहली बार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। यह वह दौर था, जब भारत अभी ब्रिटिश शासन की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था और विदेशी धरती पर तिरंगा फहराना ब्रिटिश साम्राज्य को खुली चुनौती देने जैसा था।

नेताजी का यह कदम केवल साहसिक नहीं, बल्कि रणनीतिक भी था। उन्होंने यह संदेश दिया कि भारत की आज़ादी की लड़ाई केवल देश की सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक संघर्ष है, जिसमें भारतीय हर मोर्चे पर खड़े हैं। पोर्ट ब्लेयर में तिरंगा फहराना आज़ाद हिंद फ़ौज के आत्मविश्वास और संगठन शक्ति का प्रतीक बन गया।

पीएम मोदी का संदेश और संस्कृत श्लोक

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश के साथ एक संस्कृत श्लोक भी साझा किया, जिसमें स्वतंत्रता, परिश्रम, न्याय और संगठन के महत्व को रेखांकित किया गया। उन्होंने लिखा—

“सामर्थ्यमूलं स्वातन्त्र्यं श्रममूलं च वैभवम्।
न्यायमूलं सुराज्यं स्यात् सङ्घमूलं महाबलम्॥”

प्रधानमंत्री ने इस श्लोक का भावार्थ भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि शक्ति स्वतंत्रता की नींव होती है, मेहनत से समृद्धि आती है, न्याय से सुशासन स्थापित होता है और संगठन से ही महान शक्ति का निर्माण होता है। पीएम मोदी के अनुसार, नेताजी का जीवन और उनका संघर्ष इसी दर्शन का जीवंत उदाहरण है।

आज़ाद हिंद फ़ौज और नेताजी का योगदान

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आज़ाद हिंद फ़ौज के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। उन्होंने यह साबित किया कि भारत की आज़ादी केवल राजनीतिक आंदोलन नहीं, बल्कि एक संगठित सैन्य और वैचारिक संघर्ष भी हो सकता है। पोर्ट ब्लेयर में तिरंगा फहराना इसी सोच का परिणाम था, जिसने लाखों भारतीयों के मन में आत्मसम्मान और स्वाभिमान की भावना को और मजबूत किया।

इतिहासकारों के अनुसार, उस समय अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर भारतीय ध्वज फहराना ब्रिटिश सत्ता के लिए एक बड़ा मनोवैज्ञानिक झटका था। यह घटना आज भी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के साहसिक अध्यायों में गिनी जाती है।

वर्तमान पीढ़ी के लिए संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश के जरिए यह भी संकेत दिया कि नेताजी का संघर्ष आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि देश की प्रगति और आत्मनिर्भरता के लिए वही मूल्य आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने आज़ादी के समय थे। संगठन, अनुशासन और परिश्रम से ही राष्ट्र मजबूत बनता है।

पीएम मोदी द्वारा नेताजी को याद किया जाना केवल एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों को फिर से राष्ट्रीय चेतना से जोड़ने का प्रयास माना जा रहा है। यह संदेश बताता है कि भारत की आज़ादी के पीछे केवल भावनाएं नहीं, बल्कि ठोस संकल्प और सामूहिक शक्ति का योगदान रहा है।