ट्रक का रूट खुफिया नेटवर्क से पहले ही पता कर लिया था; 200 पैकेट बारूद जंगल में ले जाए गए

नई दिल्ली । देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक नक्सलवाद के मोर्चे पर बड़ा खुलासा हुआ है। ओडिशा के राउरकेला जिले में लगभग 4000 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री लूटने की घटना में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 11 आरोपियों के खिलाफ विस्तृत आरोपपत्र दाखिल किया है। यह विस्फोटक सामग्री 20-20 किलोग्राम के लगभग 200 पैकेटों में भरी हुई थी और इसका इस्तेमाल सुरक्षा बलों के खिलाफ बड़े हमलों में किया जाना था। जांच से सामने आया कि CPI (माओवादी) के सशस्त्र कार्यकर्ताओं ने अपने स्थानीय नेटवर्क के जरिए विस्फोटक सामग्री से भरे ट्रक की आवाजाही की पूरी जानकारी पहले ही जुटा ली थी—ट्रक किस खदान का है, किस समय गुजरेगा और किस मार्ग से जाएगा।

योजनाबद्ध तरीके से घात लगाकर ट्रक रोक लूटा गया था

घटना 27 मई 2025 की है, जब इटमा विस्फोटक स्टेशन से बांको पत्थर खदान तक बारूद ले जाया जा रहा था। तय समय पर नक्सलियों के 10–15 हथियारबंद सदस्य जंगल में छिपे बैठे थे। जैसे ही ट्रक वहां पहुंचा, उन्होंने उसे घेर लिया और चालक को बंधक बनाकर विस्फोटक सामग्री लूट ली। इसके बाद सारे पैकेट जंगल की ओर ले जाए गए, जहाँ माओवादियों का एक स्थायी ठिकाना मौजूद था।

लूटे गए बारूद का इस्तेमाल सुरक्षा बलों पर हमलों के लिए होना था

एनआईए की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री किसी सामान्य आपराधिक गतिविधि का हिस्सा नहीं थी, बल्कि यह देश की सुरक्षा और स्थिरता को अस्थिर करने की एक बड़ी साजिश का तत्व थी। लूटी गई सामग्री का उपयोग सुरक्षाबलों, पुलिस, सरकारी प्रतिष्ठानों और एंटी-नक्सल ऑपरेशंस के खिलाफ बड़े हमलों में किया जाना था। जांच में यह भी साबित हुआ कि नक्सलियों ने इस पूरी घटना की विस्तृत योजना पहले ही बना ली थी—नेटवर्किंग, निगरानी, रूट की जानकारी, और हथियारबंद दस्ते की तैनाती सब कुछ संगठित रूप से किया गया था।

11 आरोपियों पर UAPA सहित कई गंभीर धाराओं में केस

एनआईए ने जिन 11 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है, उन पर यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम), बीएनएसएस, शस्त्र अधिनियम और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की गंभीर धाराएं लगाई गई हैं। एजेंसी के अनुसार, सभी आरोपी साजिश, योजना, लूट और बारूद को जंगल तक पहुंचाने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल थे। उनका सीधा संबंध CPI (माओवादी) की आतंकी गतिविधियों से जुड़ा हुआ है। एनआईए जून में मामले में शामिल हुई, खुलासा हुआ बड़ा नेटवर्क मामला शुरू में स्थानीय पुलिस के पास था, जिसे बाद में जून 2025 में एनआईए ने अपने हाथों में लिया। जांच में यह सामने आया कि 4000 किलो विस्फोटक संगठित रूप से लूटा गया माओवादी दस्ते ने इसे अपने गढ़ तक पहुंचाया इसका इस्तेमाल भविष्य में कई बड़े हमलों के लिए किया जाना था एनआईए के अनुसार, यह घटना नक्सलियों की लंबे समय से चल रही एक गहरी साजिश का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य देश में अस्थिरता फैलाना और सुरक्षा बलों के मनोबल पर हमला करना था।

सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चेतावनी

घटना ने यह संकेत दिया है कि नक्सलियों के पास अब भी जमीनी नेटवर्क और खुफिया तंत्र मजबूत है, जिसके जरिए वे विस्फोटक ढुलाई, खनन और औद्योगिक क्षेत्रों की गतिविधियों पर नज़र रखते हैं। सुरक्षा एजेंसियाँ अब इस लूट के पीछे छिपे पूरे तंत्र को खंगालने में जुटी हैं, ताकि भविष्य के खतरे टाले जा सकें।