उन्नत परीक्षणों के अंतिम चरण में पहुँची स्वदेशी एसएसबीएन पनडुब्बी, नौसेना प्रमुख ने दिया बड़ा अपडेट
नई दिल्ली। भारत की समुद्री सुरक्षा और सामरिक शक्ति को नई ऊँचाइयों पर ले जाने वाली तीसरी स्वदेशी परमाणु बैलिस्टिक पनडुब्बी INS अरिधमान अब लगभग तैयार है। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि यह पनडुब्बी “बहुत जल्द” भारतीय नौसेना की युद्ध क्षमता का हिस्सा बन जाएगी। यह घोषणा भारत के न्यूक्लियर ट्रायड को और मजबूत करने वाले महत्वपूर्ण संकेतों में से एक है।
स्वदेशी क्षमता का शिखर
अरिहंत श्रेणी की यह उन्नत पनडुब्बी वर्तमान समय में अंतिम परीक्षणों से गुजर रही है। यह सिर्फ एक युद्धक संपत्ति नहीं, बल्कि भारत की आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली का प्रतीक है। एडमिरल त्रिपाठी ने बताया कि INS अरिधमान के शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना की न्यूक्लियर डिटरेंस क्षमता दोगुनी गति से बढ़ेगी। इससे न सिर्फ हिंद महासागर क्षेत्र में शक्ति संतुलन स्थापित होगा बल्कि किसी भी संभावित खतरे के मुकाबले में भारत अधिक प्रभावी तरीके से जवाब देने में सक्षम होगा। इससे पहले INS अरिहंत और INS अरिघात नौसेना में शामिल होकर भारत की रणनीतिक पनडुब्बी बेड़े की नींव मजबूत कर चुके हैं। अरिधमान के जुड़ने से भारतीय नौसेना का बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी कार्यक्रम एक नई मजबूती पाएगा।
अत्यंत गोपनीय एसएसबीएन कार्यक्रम
भारत का एसएसबीएन (न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी) कार्यक्रम दुनिया की सबसे गुप्त रक्षा परियोजनाओं में से एक माना जाता है। दुनिया के सिर्फ पाँच देशों—अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन—के पास ही ऐसी परमाणु शक्ति वाली पनडुब्बियाँ हैं। भारत इस विशिष्ट क्लब का महत्वपूर्ण सदस्य है, जिससे उसकी सामरिक स्थिति और ऊँची मानी जाती है। इन पनडुब्बियों की खासियत यह है कि वे समुद्र की गहराई में लंबे समय तक अदृश्य रहने में सक्षम हैं और आवश्यकता पड़ने पर परमाणु हथियारों से हमला कर सकती हैं। यही क्षमता परमाणु डिटरेंस की असली रीढ़ होती है—जिससे दुश्मन आक्रामक कदम उठाने से पहले सौ बार सोचता है।
प्रोजेक्ट-75 इंडिया: छह नई स्टेल्थ पनडुब्बियां
नौसेना प्रमुख ने जानकारी दी कि प्रोजेक्ट 75-इंडिया के तहत छह उन्नत स्टेल्थ डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों का अधिग्रहण अंतिम चरण में है। लगभग 70 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली ये पनडुब्बियां आधुनिकतम तकनीक, बेहतर स्टेल्थ फीचर्स और अधिक मारक क्षमता से लैस होंगी। इनके आने से भारत की परंपरागत पनडुब्बी युद्ध क्षमता और मजबूत होगी।
फ्रांस के साथ बड़ा समझौता व राफेल-एम की डिलीवरी
भारत ने फ्रांस के साथ अप्रैल 2025 में 64,000 करोड़ रुपये का महत्वपूर्ण रक्षा सौदा किया था। इसके तहत नौसेना को 26 राफेल–एम लड़ाकू विमान मिलने हैं। इनमें से पहले चार विमान वर्ष 2028 में नौसेना के बेड़े में शामिल होंगे। ये विमान एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए हैं और भारतीय समुद्री आकाश सुरक्षा को और धार देंगे।
ऑपरेशन सिंदूर: नौसेना की निर्णायक रणनीति
एडमिरल त्रिपाठी ने सशस्त्र बलों के सहयोग की एक बड़ी मिसाल के तौर पर ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय नौसेना ने इतनी त्वरित और आक्रामक रणनीतिक तैनाती की कि पाकिस्तान को अपने जहाजों और पनडुब्बियों को बंदरगाहों के भीतर सीमित रखना पड़ा। वाइस एडमिरल के. स्वामीनाथन के अनुसार, केवल कुछ ही घंटों की सूचना पर 30 से अधिक युद्धपोतों और पनडुब्बियों की तैनाती किसी भी राष्ट्र की बड़ी नौसैनिक क्षमता का प्रमाण है। इस शक्ति प्रदर्शन ने पाकिस्तान को ‘‘सीजफायर’’ की मांग करने पर मजबूर किया—यह नौसेना के प्रभाव और क्षमता का स्पष्ट संकेत था।
हिंद महासागर में चीनी गतिविधियां
चीन के शोध जहाजों और समुद्री गतिविधियों को लेकर उठ रही चिंताओं का भी नौसेना प्रमुख ने उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना पूरी सतर्कता के साथ हर गतिविधि पर नजर रखती है, चाहे वह चीन हो या कोई भी अन्य देश। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारत की समुद्री सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं और नौसेना समय पर आवश्यक कदम उठाती रहती है।
भारत की सामरिक शक्ति को नई ऊँचाई
आईएनएस अरिधमान का शामिल होना सिर्फ नौसेना की ताकत नहीं बढ़ाएगा, बल्कि भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत सामरिक राष्ट्र के रूप में स्थापित करेगा। यह पनडुब्बी भारत को सुरक्षित समुद्री सीमाओं, मजबूत न्यूक्लियर ट्रायड और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने की बेहतर क्षमता प्रदान करेगी। यह स्वदेशी तकनीकी शक्ति, वैज्ञानिक क्षमता और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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