एटीएस की बड़ी कार्रवाई: सेना से जुड़ी संवेदनशील सूचनाएं बाहर भेजने का शक, ऑपरेशन ने खोले कई चौंकाने वाले राज 

अहमदाबाद । गुजरात एटीएस ने एक बड़े जासूसी नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए दो लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि दोनों संदिग्ध पाकिस्तान में बैठे एक नेटवर्क को सेना से जुड़ी गोपनीय जानकारियां भेज रहे थे। इस मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों में एक सेना का पूर्व सूबेदार और एक महिला शामिल है, जिनकी गतिविधियों पर एटीएस लंबे समय से नजर बनाए हुए थी।

गोवा में रह रहा था पूर्व सूबेदार, दमन से पकड़ी गई महिला

गुजरात एटीएस के मुताबिक गिरफ्तार पुरुष आरोपी की पहचान एके सिंह के रूप में हुई है, जो वर्तमान में गोवा में रहता है और पहले भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर था। दूसरी आरोपी महिला रशमनी पाल दमन की निवासी है। जांच में सामने आया है कि दोनों लगातार पाकिस्तान में मौजूद लोगों के संपर्क में थे और गोपनीय सूचनाएं साझा कर रहे थे। एटीएस का कहना है कि बरामद डिजिटल साक्ष्यों में कई संवेदनशील डाटा के आदान–प्रदान के संकेत मिले हैं।

पाकिस्तान को भेजी जा रही थीं संवेदनशील सूचनाएं

एटीएस अधिकारियों के अनुसार, आरोपियों द्वारा भेजी गई जानकारी में सैन्य गतिविधियों, कुछ रणनीतिक स्थानों तथा अन्य संवेदनशील सूचनाओं से जुड़े डेटा शामिल होने की आशंका है। यह भी पता चला है कि सूचना भेजने के लिए दोनों विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म और एन्क्रिप्टेड चैट का इस्तेमाल करते थे, ताकि उनकी पहचान छिपी रहे।

इससे पहले भी पकड़ा गया था पाकिस्तानी जासूस

यह पहला मामला नहीं है जब गुजरात एटीएस ने जासूसी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया हो। इसी साल मई में एटीएस ने सीमा क्षेत्र से एक और पाकिस्तानी जासूस को गिरफ्तार किया था। आरोपी सिद्देवसिंह गोहिल पर आरोप था कि वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को संवेदनशील सूचनाएं भेजता था। उस समय की जांच से पता चला था कि गोहिल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी व्हाट्सऐप के जरिए पाकिस्तान भेजता था। ताजा मामले ने फिर साबित किया है कि पाकिस्तान लगातार भारतीय सुरक्षा तंत्र में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा है और इसके लिए सोशल इंजीनियरिंग तथा डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

एटीएस कर रही है गहन पूछताछ

गिरफ्तार दोनों आरोपियों से पूछताछ जारी है। एटीएस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उनके संपर्क में और कौन लोग थे, कितने समय से जानकारी भेजी जा रही थी, और क्या इसके लिए कोई आर्थिक लेन-देन भी हुआ। जांच एजेंसियां मान रही हैं कि यह नेटवर्क संभवतः बड़ा हो सकता है और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।