अरंडी के बीज से तैयार होने वाले घातक जहर राइसिन का निर्माण कर आतंकी हमला करने की साजिश, एटीएस ने अहमदाबाद-महेसाणा रोड पर चलायी छापेमारी में मुख्य आरोपी को धराया; पाकिस्तान व आईएसकेपी से भी जुड़ेपन के संकेत मिले

गुजरात/नई दिल्ली, 11 नवंबर।
राइसिन नामक अत्यंत जहरीले पदार्थ को बनाने की साजिश के आरोप में गुजरात एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) ने 9 नवंबर को चलायी एक बड़ी कार्रवाई में तेलंगाना निवासी डॉ. अहमद मोहियुद्दीन सैयद को गिरफ्तार किया है। एटीएस के अनुसार, सैयद तथा उसके साथियों पर आरोप है कि वे इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत से जुड़े खतनाक नेटवर्क के निर्देश पर राइसिन तैयार करने की योजना बना रहे थे। राइसिन के संभावित प्रयोग से देश में जैविक सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा होने की चिंता है।

एटीएस (ATS) ने बताया कि खुफिया जानकारी के आधार पर एसपी सिद्धार्थ के नेतृत्व में टीम ने अहमदाबाद-महेसाणा राजमार्ग पर अदलाज टोल प्लाजा के पास छापेमारी कर सैयद को हिरासत में लिया। सैयद अपनी सिल्वर रंग की फोर्ड फिगो कार चला रहा था। उसकी कार में तलाशी के दौरान दो ग्लॉक पिस्टल, एक बेरेटा पिस्टल, तीस जिंदा कारतूस और लगभग चार लीटर अरंडी का तेल बरामद हुआ, जो राइसिन बनाने की मुख्य कच्ची सामग्री है। इसके अलावा अभियुक्त के पास से शोध उपकरण, रसायन और तैयारी के लिए आवश्यक कच्चा माल भी जब्त किए गए हैं।

गुजरात (Gujrat) एटीएस ने बताया कि फोरेन्सिक जांच और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों के विश्लेषण से दो और संदिग्धों तक पहुंच पाई गई। एक संदिग्ध उत्तर प्रदेश के शामली जिले का दर्जी आजाद सुलेमान शेख है और दूसरा लखीमपुर खीरी का छात्र मोहम्मद सुहैल मोहम्मद सलीम खान है। इन दोनों पर आरोप है कि उन्होंने सैयद को हथियार मुहैया कराने और नेटवर्क से जोड़ने में मदद की। एटीएस ने कहा है कि दोनों कट्टरपंथी विचारधारा के प्रवर्तक बताए जा रहे हैं और उन्होंने लखनऊ, दिल्ली व अहमदाबाद जैसे शहरी केंद्रों में हमलागत गतिविधियों की रेकी भी की थी।

जांचकार्यों में पाकिस्तान से संबंधों का भी संकेत मिला है। अधिकारियों ने बताया कि बरामद हथियार राजस्थान के हनुमानगढ़ से प्राप्त हुए थे और उनका हैंडलर पाकिस्तान सीमा के पार से ड्रोन के माध्यम से हथियारों की आपूर्ति कर रहा था। आरंभिक पूछताछ में सैयद ने स्वीकार किया कि वह अफगानिस्तान निवासी अबू खदीजा और आईसकेपी के संपर्क में था और उनके निर्देश पर राइसिन बनाने की तैयारी कर रहा था।

राइसिन की घातकता का भयावह स्वरूप पहले से जाना जाता है। अरंडी के बीज से निकलने वाला यह विष इतना खतरनाक है कि बहुत कम मात्रा में भी मानव जीवन के लिए घातक सिद्ध होता है। अधिकारियों ने बताया कि मात्र नमक के एक दाने से भी कम यानी लगभग 500 माइक्रोग्राम की मात्रा निगल लेने, साँस के जरिए शरीर में पहुँच जाने या इंजेक्शन द्वारा देने पर यह सामान्य इंसान को मार सकता है। राइसिन का कोई स्थापित एंटीडोट नहीं है और यह अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन द्वारा ‘कैटेगरी बी बायोटेररिज्म एजेंट’ में रखा गया है। इसके अतिरिक्त राइसिन को रासायनिक हथियार कन्‍वेशन के तहत ‘शेड्यूल-1’ टॉक्सिक रसायन के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

इतिहास गवाह है कि राइसिन का आतंकवादी समूहों द्वारा कई बार दुरुपयोग किया गया। सन 2000 के आरंभिक वर्षों में अल-कायदा तथा बाद के वर्षों में अन्य आतंकी नेटवर्कों ने राइसिन पर प्रयोग आरंभ किए थे। 2003 में ब्रिटेन में पकड़े गए गिरोह के मामले में अरंडी के बीज और लैब उपकरण भी मिले थे, और इसी तरह 2003 के मध्य में राइसिन मिश्रित खतरे वाले पत्रों का मामला भी सामने आया था; एक पत्र व्हाइट हाउस को भेजे जाने का प्रयास भी रुक गया था। बाद के सालों में इराक तथा अन्य इलाकों में राइसिन के उपयोग व परीक्षण की कई चर्चित सूचनाएँ आईं, जिससे यह साफ़ हुआ कि राइसिन न केवल सस्ता बल्कि बेहद प्रभावी और नियंत्रण में मुश्किल सबसे खतरनाक जैविक एजेंटों में से है।

गुजरात एटीएस ने कहा है कि सैयद के कब्जे से मिले उपकरणों की फोरेंसिक व डिजिटल जांच जारी है। इससे यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि उसने किस स्तर तक राइसिन बनाने की प्रक्रिया को विकसित किया था, किन-किन लोगों से संपर्क किया गया और क्या किसी तरह की तैनाती या हमले की योजना अंतिम चरण में पहुँच चुकी थी। अधिकारी यह भी जाँच रहे हैं कि क्या सैयद ने किसी स्थान पर राइसिन बनाकर संग्रहित किया था या उसका उद्देश्य इसे किसी लक्ष्य पर इस्तेमाल करना था।

सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा है कि राइसिन जैसे एजेंटों की तस्करी व निर्माण पर कड़ी निगरानी आवश्यक है। अरंडी का तेल खुले बाजार में उपलब्ध होना और राइसिन की सस्ती मूल तत्वता इसे आतंकवादी संगठनों के लिए आकर्षक बनाती है। इसलिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों, खुफिया इकाइयों और स्वास्थ्य विभागों के बीच समन्वय और जागरूकता बढ़ाना अनिवार्य हो गया है।

अभी तक पकड़े गए तीनों आरोपितों से मिली जानकारी और बरामद सामानों के आधार पर आगे की बारिकी से जांच चलायी जा रही है। एटीएस ने संभावित और गिरफ्तारी तथा छापेमारी की संभावना जतायी है और कहा है कि यदि और ठोस सुराग मिले तो राष्ट्रीय स्तर की एजेंसियाँ भी इस जांच में सक्रिय रूप से शामिल होंगी। इस पूरे प्रकरण ने देश में जैविक खतरे तथा सीमा-पार कनेक्शनों के मुद्दों पर नई चेतावनी जगा दी है और सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और जवाबदेही पर प्रश्नों के साथ-साथ तारीफ़ भी दोनों के रूप में चर्चा को मजबूती दी है।

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