उमर के फोन से मिले वीडियो ने खोले कई राज, 6 दिसंबर को बड़े हमले की साजिश की आशंका
ब्रेनवॉश की नई कहानी: छात्र को बनाया जा रहा था आत्मघाती हमलावर
सफेदपोश डॉक्टरों से जुड़े आतंकी मॉड्यूल की जांच में एक और चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। दिल्ली के लाल किले के पास हुए बम धमाके के मास्टरमाइंड डॉ. उमर नबी ने एक छात्र को फिदायीन हमला करने के लिए तैयार करने का प्रयास किया था। जांच एजेंसियों ने बताया कि दक्षिण कश्मीर के काजीगुंड से पकड़े गए आरोपी जसीर उर्फ दानिश ने पूछताछ में यह महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।
जसीर एक राजनीति विज्ञान का छात्र है और उसे साल 2023 से ही आत्मघाती हमलावर बनाने के लिए कट्टरपंथी बनाया जा रहा था। डॉ. उमर लगातार उस पर दबाव डाल रहा था कि आतंकी मिशन को पूरा करने के लिए एक फिदायीन का होना जरूरी है।
धर्म के हवाले से छात्र ने इंकार किया, साजिश विफल हुई
पूछताछ के दौरान जसीर ने जांच टीम को बताया कि आखिरी क्षण में उसने आत्मघाती हमला करने से मना कर दिया। उसका कहना था कि इस्लाम में खुदकुशी की अनुमति नहीं है। जसीर के पीछे हटते ही अप्रैल 2025 में आतंकियों की यह बड़ी योजना फेल हो गई। इसके बाद उमर ने नए तरीके की तलाश शुरू की और खुद को इस भूमिका में प्रस्तुत करने लगा।
फरीदाबाद के किराए के मकान में महीनों तक चला ब्रेनवॉश
जांच एजेंसियों के मुताबिक, डॉ. उमर नबी ने फरीदाबाद स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय के पास एक किराए के मकान में कई महीनों तक जसीर का ब्रेनवॉश किया। लगातार कट्टरपंथी सामग्री दिखाकर उसे तैयार करने का प्रयास किया गया। लेकिन छात्र के पीछे हटने से आतंकी योजना अधूरी रह गई।
इसी दौरान उमर ने खुद भी कट्टरपंथी विचारों को बढ़ावा देने के लिए कई वीडियो तैयार किए, जिनका इस्तेमाल युवाओं को बरगलाने में किया जाता था।
लाल किला कार बम धमाका: 14 मौतों ने खोली जांच की नई दिशा
जांच में यह भी सामने आया है कि दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के सामने कार बम धमाका करने वाला वही डॉ. उमर था। इस धमाके में 14 लोगों की मौत हो चुकी है और कई घायल अब भी उपचाररत हैं। घटना के बाद पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने उमर की तलाश तेज कर दी थी।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उमर का फ़ोन बरामद किया, जिसमें कई कट्टरपंथी वीडियो मिले हैं। फोन की फोरेंसिक जांच से पता चला कि उमर इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा के कट्टरपंथी वीडियो देखता था और उन्हीं से प्रभावित होकर अपने वीडियो बनाता था।
फोन में मिला फिदायीन हमलों का महिमामंडन करने वाला वीडियो
बरामद फोन से जो सबसे महत्वपूर्ण सबूत निकला वह एक वीडियो है जिसमें उमर आत्मघाती हमले को “शहादत अभियान” बताते हुए उसका बचाव करता दिखाई देता है। वीडियो लगभग दो मिनट का है और इसमें उमर कुर्सी पर अकेले बैठकर फिदायीन हमले की चर्चा करता है।
उसके चेहरे पर डर या तनाव का कोई भाव नहीं दिखता, बल्कि वह बेहद सामान्य स्वर में आत्मघाती विस्फोट को ‘सबसे प्रशंसनीय कार्य’ बताता है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ, जिससे उसके नेटवर्क की गहराई का पता चलता है।
फोरेंसिक जांच में सामने आया कि यह वीडियो अप्रैल में रिकॉर्ड किया गया था और यह वास्तव में एक बड़े संग्रह का हिस्सा है, जो उमर ने युवाओं को बरगलाने के लिए तैयार किया था।
आतंकी उमर का वीडियो देखिए!
— Panchjanya (@epanchjanya) November 18, 2025
धमाके से पहले इसने वीडियो बनाई थी!
"इस्लाम के मुताबिक आत्मघाती हमलावर को शहीद का दर्जा मिलता है।"
अच्छे पैसे कमा रहा था, डॉक्टर था, अच्छी जिंदगी चल रही थी,
इसके बावजूद इसने इस्लाम के मुताबिक बम बांधकर फटना स्वीकार किया। pic.twitter.com/r2lyown9tA
उमर के भाई की गिरफ्तारी से खुला फोन बरामदगी का राज
जम्मू-कश्मीर पुलिस की विशेष टीम ने उमर के भाई जहूर इलाही को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। शुरुआती पूछताछ में वह मामले से पल्ला झाड़ता रहा, लेकिन बाद में उसने स्वीकार किया कि उमर 26 से 29 अक्टूबर के बीच कश्मीर घाटी में था।
उसी दौरान उमर ने उसे फोन देकर कहा था कि “अगर कुछ हो जाए तो इसे पानी में फेंक देना।” बाद में जहूर ने पुलिस को उस स्थान तक ले जाकर दिखाया जहां उसने फोन फेंका था। फोन क्षतिग्रस्त था, लेकिन फोरेंसिक विशेषज्ञों ने उससे महत्वपूर्ण जानकारी निकाल ली।

कट्टरपंथी वीडियो देख-देखकर बना था उग्र, नेटवर्क का सबसे खतरनाक सदस्य माना जा रहा
अधिकारियों ने बताया कि उमर इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा की हिंसक सामग्री देखकर कट्टरपंथ की ओर आकर्षित हुआ। बाद में वह खुद इस तरह की सामग्री बनाने लगा। जांच एजेंसियाँ यह मान रही हैं कि वह कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फैले सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल का सबसे कट्टर और सक्रिय सदस्य था।
6 दिसंबर को होने वाले संभावित बड़े हमले की आशंका
बरामद डिजिटल साक्ष्यों और पूछताछ के आधार पर अधिकारियों का अनुमान है कि उमर 6 दिसंबर — बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी — के आसपास भीड़भाड़ वाले इलाके या किसी धार्मिक स्थल पर एक बड़े VBIED (वाहन-जनित विस्फोटक) हमले की योजना बना रहा था।
अगर यह साजिश सफल हो जाती, तो यह हाल के वर्षों में सबसे घातक आतंकी हमला हो सकता था।
एनआईए को सौंपा गया मामला, आगे और गिरफ्तारियाँ संभव
उमर का फोन और उससे जुड़े सबूत राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिए गए हैं। एजेंसियों का कहना है कि यह नेटवर्क काफी बड़ा था, जिसमें डॉक्टर, छात्र और कुछ अन्य पेशेवर लोग भी शामिल थे। जांच आगे बढ़ने के साथ कई और गिरफ्तारियाँ संभावित हैं।
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