ठंड के साथ जहरीली हवा का डबल अटैक, लोगों की सेहत पर बढ़ता खतरा
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से राहत के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। मंगलवार सुबह राजधानी एक बार फिर घने कोहरे, धुंध और स्मॉग की मोटी चादर में लिपटी नजर आई। ठंड के साथ जहरीली हवा ने हालात और मुश्किल बना दिए हैं। कई इलाकों में दृश्यता बेहद कम रही, वहीं एयर क्वालिटी इंडेक्स गंभीर श्रेणी में बना हुआ है। एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम फॉर दिल्ली के अनुसार, मंगलवार सुबह राजधानी का औसत एक्यूआई 381 दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है।
कई इलाकों में एक्यूआई 400 से ऊपर
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सुबह सात बजे के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली के कई इलाकों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। आनंद विहार में एक्यूआई 406, अशोक विहार में 410, बवाना में 403, चांदनी चौक में 438, डीटीयू में 425, आईटीओ में 402, जहांगीरपुरी में 426, मुंडका में 426, पंजाबी बाग में 405, विवेक विहार में 411 और वजीरपुर में 426 एक्यूआई दर्ज किया गया। कुछ इलाकों में भले ही आंकड़े इससे थोड़े कम रहे हों, लेकिन कुल मिलाकर पूरी राजधानी दमघोंटू हवा की गिरफ्त में है।
सोमवार को भी गंभीर रही स्थिति
सोमवार को भी लगातार तीसरे दिन दिल्ली की हवा गंभीर श्रेणी में रही थी। दिन की शुरुआत घने कोहरे और धुंध से हुई और पूरे दिन आसमान में स्मॉग की मोटी परत छाई रही। कई इलाकों में दृश्यता इतनी कम थी कि लोगों को दिन में भी वाहन चलाते समय लाइट जलानी पड़ी। प्रदूषण के कारण आंखों में जलन, गले में खराश और सांस की तकलीफ के मामले सामने आए। सोमवार को राजधानी का एक्यूआई 427 दर्ज किया गया था। एनसीआर में ग्रेटर नोएडा की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित रही, जहां एक्यूआई 447 दर्ज हुआ। गाजियाबाद और नोएडा में भी हालात बेहद खराब रहे, जबकि फरीदाबाद की हवा तुलनात्मक रूप से बेहतर रही।
मानसून के बाद बिगड़ते गए हालात
दिल्ली में इस साल मई से सितंबर तक सामान्य से ज्यादा बारिश हुई थी, जिससे मॉनसून के दौरान हवा अपेक्षाकृत साफ रही। लेकिन अक्टूबर के मध्य से ही हालात बिगड़ने लगे। 14 अक्टूबर के बाद से दिल्ली के लोग लगातार प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। हाल के दिनों में पीएम-10 और पीएम-2.5 जैसे सूक्ष्म कण खतरनाक स्तर तक पहुंच चुके हैं। रविवार शाम दिल्ली-एनसीआर में पीएम-10 का स्तर 449 माइक्रोग्राम और पीएम-2.5 का औसत स्तर करीब 298 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया, जो तय मानकों से साढ़े चार गुना तक ज्यादा है।
सेहत पर गहरा असर डाल रही जहरीली हवा
विशेषज्ञों के अनुसार, लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से शरीर में सूजन, ऑक्सीडेटिव तनाव और रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है। इससे फेफड़े, दिल और दिमाग पर गंभीर असर पड़ता है। दिल्ली की हवा में मौजूद सूक्ष्म कण सीधे फेफड़ों और रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे सांस और हृदय से जुड़ी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा असर
अध्ययनों में यह भी सामने आया है कि वायु प्रदूषण केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। लंबे समय तक प्रदूषित वातावरण में रहने से अवसाद, बाइपोलर डिसऑर्डर, स्किजोफ्रेनिया और अन्य मानसिक समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव
डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे हालात में बाहर खुले में व्यायाम, जॉगिंग या योग करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे फेफड़ों में ज्यादा प्रदूषक कण चले जाते हैं। खासकर सड़कों के आसपास प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा रहता है। बच्चों, बुजुर्गों और सांस के मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।
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