मलक्का जलडमरूमध्य में बना गहरा दबाव चक्रवात में बदल सकता है, अंडमान-निकोबार से लेकर दक्षिण भारत तक मौसम रहेगा बिगड़ा

नई दिल्ली । दक्षिण भारत के मौसम पर बड़े बदलाव की आहट दिखाई दे रही है। समुद्री क्षेत्रों में सक्रिय दो अलग-अलग मौसमी प्रणालियाँ आने वाले दिनों में व्यापक असर डाल सकती हैं। मलक्का जलडमरूमध्य में बना गहरा दबाव तेजी से मजबूत हो रहा है और भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार इसके चक्रवात “सेंयार” में बदलने की पूरी संभावना है। ‘सेंयार’ का अर्थ ‘शेर’ है और यह नाम संयुक्त अरब अमीरात द्वारा सुझाया गया है। नवंबर का महीना हमेशा से बंगाल की खाड़ी में चक्रवातों का सीजन माना जाता है, और इस बार भी वही परिस्थितियाँ तेजी से उभर रही हैं। इस समय दो बड़ी मौसम प्रणालियाँ सक्रिय हैं जिनसे दक्षिण भारत के मौसम में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा।

 मलक्का जलडमरूमध्य में गहरा दबाव—बन सकता है चक्रवात सेंयार

आईएसडी ने जानकारी दी है कि मलक्का जलडमरूमध्य और आसपास के क्षेत्रों में बना गहरा दबाव धीरे-धीरे शक्तिशाली चक्रवात में बदल सकता है।
इसके प्रभाव: 
- 60 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं
- समुद्र में उथल-पुथल और ऊँची लहरें
- समुद्री गतिविधियों पर बड़ा असर
- तटीय क्षेत्रों में अलर्ट की स्थिति 
मलक्का जलडमरूमध्य रणनीतिक और समुद्री व्यापार के लिहाज से दुनिया के अहम क्षेत्रों में से एक है। यह अंडमान सागर को दक्षिण चीन सागर से जोड़ता है, इसलिए यहां बनने वाला कोई भी चक्रवाती तंत्र पूरे क्षेत्र के मौसम को प्रभावित करता है।
 

 अंडमान-निकोबार में भारी बारिश की चेतावनी

आईएसडी ने 26 और 27 नवंबर को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भारी से बेहद भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।
संभावित प्रभाव: 
- तेज हवाएं
- गरज-चमक
- समुद्र में उथल-पुथल
- समुद्री यातायात पर रोक

स्थानीय प्रशासन ने मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह जारी कर दी है। 28 नवंबर से बारिश में कमी की संभावना है, लेकिन तब तक मौसम बेहद अस्थिर रहेगा।
 

 तमिलनाडु-केरल में मौसम का बदलेगा मिजाज

बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से और दक्षिण श्रीलंका के पास बना दूसरा कम दबाव क्षेत्र भी सक्रिय हो चुका है। मौसम विभाग का कहना है कि यह प्रणाली भी आगे चलकर डिप्रेशन बन सकती है, जिससे दक्षिण भारत में व्यापक प्रभाव पड़ेंगे। 
- तमिलनाडु में कई जिलों में भारी बारिश
- तूतीकोरिन में जलभराव और सड़कें डूबीं
- जनजीवन प्रभावित हुआ
- कई जिलों में स्कूल-कॉलेज बंद रखे गए
- केरल और आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में भी जलभराव की स्थिति

दक्षिण भारत में पिछले कई दिनों से जारी बारिश अब और बढ़ सकती है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन सकते हैं।

 दक्षिण भारत के लिए बढ़ते खतरे की घंटी

दो समानांतर मौसम प्रणालियों का सक्रिय होना इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में दक्षिण भारत के कई राज्यों को भारी बारिश, तेज हवाओं और समुद्री अस्थिरता से जूझना पड़ सकता है। आईएसडी ने राज्यों को अलर्ट रहने, प्रशासन को तैयार रहने और मछुआरों को समुद्र से दूर रहने के निर्देश जारी किए हैं। अब सभी की नजरें इस पर हैं कि मलक्का जलडमरूमध्य वाला गहरा दबाव कब और किस तीव्रता से चक्रवात “सेंयार” का रूप लेता है।