नई दिल्ली: भारत ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) को अपनी चौथी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (बीयूआर-4) 30 दिसंबर 2024 को प्रस्तुत की। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के ग्रीन हाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में 2020 में 7.93 प्रतिशत की कमी आई, जो 2019 के मुकाबले एक महत्वपूर्ण गिरावट है।
केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस रिपोर्ट की जानकारी साझा करते हुए कहा कि भारत सतत विकास के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जलवायु कार्रवाई के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2005 से 2020 के बीच भारत ने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की उत्सर्जन तीव्रता में 36 प्रतिशत की कमी की। इसके अलावा, 2024 तक भारत की बिजली उत्पादन क्षमता में गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों का योगदान 46.52 प्रतिशत तक पहुँच चुका है।
वन और वृक्ष आवरण में लगातार वृद्धि के चलते 2005 से 2021 तक 2.29 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन डायऑक्साइड समाहित करने वाला कार्बन सिंक तैयार किया गया है। भारत का वन क्षेत्र अब देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 25.17 प्रतिशत हो चुका है।
ऊर्जा क्षेत्र ने कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में सबसे अधिक योगदान दिया, जो 75.66 प्रतिशत था। इसके बाद कृषि क्षेत्र का योगदान 13.72 प्रतिशत, औद्योगिक प्रक्रियाओं का 8.06 प्रतिशत और अपशिष्ट से उत्सर्जन का 2.56 प्रतिशत रहा।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को आर्थिक विकास से अलग करने में सफलता हासिल की है, जिससे यह साबित होता है कि पर्यावरणीय सततता और आर्थिक विकास दोनों को साथ-साथ बढ़ाया जा सकता है।