महापरिनिर्वाण दिवस पर नेताओं ने संविधान निर्माता के आदर्शों को याद किया

नई दिल्ली। संविधान निर्माता और सामाजिक न्याय के सबसे प्रखर प्रतीक डॉ. भीमराव आंबेडकर की 69वीं पुण्यतिथि पर देशभर में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। संसद भवन परिसर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, लोकसभा और राज्यसभा के कई सदस्यों सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए। महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर सभी नेताओं ने आंबेडकर के दूरदर्शी विचारों और उनके संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान को याद किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा: न्याय और समानता का मार्ग दिखाते रहेंगे आंबेडकर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि संदेश साझा करते हुए लिखा कि डॉ. आंबेडकर का दूरदर्शी नेतृत्व, न्याय और समानता के प्रति उनकी अथक निष्ठा देश की प्रगति की दिशा तय करती है। उन्होंने लिखा कि आंबेडकर के आदर्श मानव गरिमा की रक्षा करने और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए निरंतर प्रेरणा देते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण में बाबा साहेब के विचार सदैव मार्गदर्शक रहेंगे।

राहुल गांधी बोले: आंबेडकर की विरासत संविधान बचाने के संकल्प को मजबूत करती है

कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. आंबेडकर को याद किया। उन्होंने पोस्ट में लिखा कि समानता, न्याय और मानवीय गरिमा की जो विरासत आंबेडकर ने देश को दी, वही उन्हें संविधान की रक्षा के संघर्ष में प्रेरित करती है। संसद परिसर में श्रद्धांजलि देने के बाद मीडिया से बातचीत में राहुल गांधी ने कहा कि आंबेडकर एक राष्ट्रीय आइकॉन हैं, जिन्होंने देश को संवैधानिक मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कहा कि संविधान खतरे में है और इसे बचाने की जिम्मेदारी हर नागरिक की है।

खरगे ने कहा: सामाजिक न्याय की सबसे मजबूत आवाज थे बाबा साहेब

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने डॉ. आंबेडकर के आदर्शों को याद करते हुए कहा कि वे सामाजिक न्याय की सबसे सशक्त आवाज थे। उन्होंने लिखा कि बाबा साहेब जीवनभर बराबरी, भाईचारे और न्याय के सिद्धांतों के लिए खड़े रहे। देश को उनका सबसे बड़ा उपहार संविधान है, जिसे संरक्षित और सुरक्षित रखना हर नागरिक का कर्तव्य है। डॉ. आंबेडकर की पुण्यतिथि के अवसर पर देशभर में विभिन्न सामाजिक संगठनों और दलों द्वारा आयोजन किए गए, जिनमें संविधान पाठ, विचार गोष्ठियां और श्रद्धांजलि सभाएं शामिल रहीं। महापरिनिर्वाण दिवस ने एक बार फिर इनके विचारों को आत्मसात करने और समानता व न्याय आधारित समाज बनाने का संदेश दिया।