नेशनल हेराल्ड से जुड़े बहुचर्चित धनशोधन मामले में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अब इस मामले में एक बड़ा कदम उठाते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ पहली बार आपराधिक आरोपपत्र (चार्जशीट) दाखिल कर दी है। यह घटना इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि गांधी परिवार के इन वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ यह पहला मामला है जिसमें चार्जशीट दायर हुई है।
क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
इस केस की शुरुआत हुई थी साल 2012 में, जब भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली की एक अदालत में याचिका दायर कर यह आरोप लगाया था कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने एक सोची-समझी साजिश के तहत एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की संपत्तियों पर कब्जा किया है। AJL वही कंपनी है जो ‘नेशनल हेराल्ड’ अख़बार का संचालन करती थी, जिसकी स्थापना भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी।
डॉ. स्वामी का आरोप था कि गांधी परिवार ने यंग इंडिया लिमिटेड नाम की एक नई कंपनी बनाकर बेहद कम कीमत पर AJL के अधिकांश शेयर हासिल कर लिए और इस तरह एक विशाल संपत्ति पर नियंत्रण पा लिया, जिसकी कीमत सैकड़ों करोड़ रुपये में आंकी गई।
प्रवर्तन निदेशालय की जांच और अब तक की कार्रवाई
ED ने इस मामले में गहन जांच करते हुए पाया कि यह एक वित्तीय धोखाधड़ी का मामला हो सकता है, जिसमें धनशोधन (Money Laundering) के संकेत मिले। इसके बाद एजेंसी ने कई बार सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ की, दस्तावेजों की जांच की और संबंधित कंपनियों की वित्तीय स्थिति का आकलन किया।
12 अप्रैल 2025 को ED ने इस केस में बड़ी कार्रवाई करते हुए यंग इंडिया और AJL से जुड़ी अचल संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की। एजेंसी ने 661 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों पर कब्जे की प्रक्रिया को अंजाम दिया। ये संपत्तियाँ देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं और इन पर नेशनल हेराल्ड कार्यालय या उससे संबंधित संस्थान चल रहे थे।
इसके अलावा, नवंबर 2023 में भी ED ने AJL के 90.2 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों को ‘अपराध से अर्जित आय’ के तहत कुर्क किया था। ED का कहना है कि इन संपत्तियों और शेयरों को जब्त करना जरूरी था क्योंकि आरोपी इन्हें नष्ट या स्थानांतरित कर सकते थे, जिससे न्यायिक प्रक्रिया पर असर पड़ सकता था।
अब क्या होगा?
ED द्वारा दाखिल किए गए आरोपपत्र को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में प्रस्तुत किया गया है, जहां इस मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल 2025 को निर्धारित की गई है। कोर्ट यह तय करेगा कि इस आरोपपत्र के आधार पर सुनवाई की प्रक्रिया किस प्रकार आगे बढ़ेगी।
यह मामला केवल कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद संवेदनशील माना जा रहा है। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि यह एक “राजनीतिक प्रतिशोध” का उदाहरण है, जहां सरकार केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग कर विपक्षी नेताओं को निशाना बना रही है। वहीं भाजपा और ED इसे एक “कानून सम्मत प्रक्रिया” बता रहे हैं, जो जांच के आधार पर आगे बढ़ रही है।
गौरतलब है कि इस केस में अगर कोर्ट आरोपों को सही मानता है और सुनवाई शुरू होती है, तो यह गांधी परिवार के लिए एक लंबी और चुनौतीपूर्ण कानूनी लड़ाई साबित हो सकती है।
कुल मिलाकर, नेशनल हेराल्ड केस अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है, और आने वाले सप्ताहों में यह भारतीय राजनीति के केंद्र में रहने वाला है।
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