नेशनल हेराल्ड मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी से मांगा स्पष्टीकरण, 26 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
नई दिल्ली। बहुचर्चित नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने ईडी की शिकायत पर संज्ञान लेने को लेकर सवाल उठाते हुए एजेंसी के वकील से विस्तृत जवाब देने को कहा। इस मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त को निर्धारित की गई है।
कोर्ट की कार्यवाही और ईडी की भूमिका
स्पेशल जज विशाल गोगने की अदालत में शुक्रवार को मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने ईडी द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों का गहन निरीक्षण किया और एजेंसी से कहा कि वह अपने पक्ष को स्पष्ट करे। कोर्ट इससे पहले 18 अगस्त को भी ईडी के सहायक निदेशक शिव कुमार गुप्ता की मौजूदगी में दस्तावेजों की जांच कर चुकी है।
उल्लेखनीय है कि 7 अगस्त को हुई सुनवाई में अदालत ने जांच अधिकारी से यह सीधा सवाल किया था कि इस मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी का सीधा संबंध क्या है। इसके बाद 14 जुलाई को अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया था। अब कोर्ट ईडी से ठोस स्पष्टीकरण चाहती है ताकि मामले में आगे की कार्यवाही तय की जा सके।
ईडी के आरोप और गवाहों के बयान
सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने अदालत को बताया कि कांग्रेस पार्टी को दान देने वाले कई लोगों के साथ धोखाधड़ी की गई। राजू के मुताबिक, जिन लोगों ने दान दिया, उनमें से कुछ को राजनीतिक टिकट भी प्रदान किए गए।
ईडी का यह भी कहना है कि गांधी परिवार का यह दावा गलत है कि उनका एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) पर कोई नियंत्रण नहीं था। एजेंसी के अनुसार, एजेएल ही नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र का प्रकाशक था और इस पूरे प्रकरण में उसकी भूमिका केंद्रीय है।
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गांधी परिवार की ओर से दलील
इस मामले में राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ वकील आरएस चीमा ने ईडी के आरोपों का कड़ा विरोध किया। उन्होंने अदालत को बताया कि कांग्रेस पार्टी ने कभी एजेएल को बेचने का प्रयास नहीं किया, बल्कि उसका मकसद इस संस्था को बचाना था क्योंकि यह स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी विरासत का हिस्सा है।
चीमा ने यह भी सवाल उठाया कि ईडी एजेएल का मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन अदालत के समक्ष क्यों नहीं रख रही है। उनका कहना था कि कांग्रेस और गांधी परिवार की मंशा पारदर्शी थी और पार्टी ने केवल एजेएल के ऐतिहासिक महत्व को सुरक्षित रखने का प्रयास किया।
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ऐतिहासिक संदर्भ और राजनीतिक महत्व
नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुई थी और इसे पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर अनेक वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं का संरक्षण प्राप्त रहा। वर्षों बाद यह समाचार पत्र आर्थिक संकट से जूझने लगा और तब कांग्रेस पार्टी ने इसे पुनर्जीवित करने का प्रयास किया।
यही प्रयास अब विवादों के घेरे में है। विपक्ष लगातार गांधी परिवार पर आरोप लगाता रहा है कि उन्होंने राजनीतिक और आर्थिक लाभ के लिए एजेएल और उससे जुड़े संसाधनों का दुरुपयोग किया। वहीं, कांग्रेस का कहना है कि यह पूरी तरह से राजनीतिक बदले की कार्रवाई है।
अगली सुनवाई और संभावित असर
अब इस मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी। माना जा रहा है कि ईडी को अदालत के सवालों का स्पष्ट जवाब देना होगा और दस्तावेजों के आधार पर अपना पक्ष मजबूत करना होगा। अदालत का यह कदम इस पूरे मामले के कानूनी और राजनीतिक दोनों पहलुओं पर दूरगामी असर डाल सकता है।
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