August 2, 2025 3:25 AM

71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा: शाहरुख खान, विक्रांत मैसी और रानी मुखर्जी को मिला पहला नेशनल अवॉर्ड

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‘कटहल’ बनी सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म

71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा: शाहरुख, रानी और विक्रांत को पहला नेशनल अवॉर्ड

नई दिल्ली। सिनेमा प्रेमियों के लिए शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक बन गया जब 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई। वर्ष 2023 में रिलीज हुई फिल्मों को सम्मानित करने वाले इस समारोह में कई बड़ी और लोकप्रिय फिल्मों ने बाज़ी मारी। खास बात यह रही कि इस बार तीन दिग्गज कलाकार—शाहरुख खान, विक्रांत मैसी और रानी मुखर्जी—को पहली बार नेशनल फिल्म अवॉर्ड से

नवाज़ा गया है।

शाहरुख खान को ‘जवान’ के लिए पहला राष्ट्रीय पुरस्कार

बॉलीवुड के बादशाह कहे जाने वाले शाहरुख खान को इस बार उनके करियर का पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला है। उन्हें यह सम्मान एटली निर्देशित फिल्म ‘जवान’ में उनके दमदार डबल रोल के लिए मिला। ‘जवान’ एक एक्शन-थ्रिलर फिल्म थी, जिसमें शाहरुख ने एक सैनिक और उसके बेटे का किरदार निभाया। यह फिल्म सामाजिक मुद्दों पर आधारित थी और दर्शकों से भरपूर सराहना मिली थी।

विक्रांत मैसी को ’12वीं फेल’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार

शाहरुख के साथ ही विक्रांत मैसी को भी सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। उन्हें यह सम्मान ’12वीं फेल’ फिल्म के लिए दिया गया है, जो कि आईपीएस अधिकारी मनोज कुमार शर्मा की जीवनगाथा पर आधारित थी। फिल्म में विक्रांत ने बेहद सादगी और प्रभावशाली अंदाज़ में मुख्य भूमिका निभाई। उनका अभिनय न केवल दर्शकों बल्कि समीक्षकों के बीच भी चर्चा का विषय बना रहा।

रानी मुखर्जी को ‘मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का पुरस्कार

रानी मुखर्जी को भी उनके करियर का पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला है। उन्हें यह सम्मान ‘मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे’ फिल्म में उनके भावनात्मक और दमदार अभिनय के लिए दिया गया। यह फिल्म एक भारतीय मां की सच्ची कहानी पर आधारित थी, जो अपने बच्चों की कस्टडी के लिए एक विदेशी देश के कानून व्यवस्था से लड़ती है। फिल्म में रानी ने एक मां की पीड़ा, संघर्ष और संकल्प को बखूबी पर्दे पर उतारा।

‘कटहल’ बनी सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म

साल 2023 में रिलीज हुई फिल्म ‘कटहल’ को सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया है। इस हास्य-व्यंग्य से भरपूर फिल्म में सान्या मल्होत्रा, विजय राज और अनंत जोशी मुख्य भूमिकाओं में नज़र आए थे। फिल्म ने सामाजिक संदेश को हल्के-फुल्के अंदाज़ में दर्शाने की कोशिश की और अपने अनोखे विषय के कारण चर्चा में रही।


क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों को भी मिला सम्मान

इस वर्ष क्षेत्रीय भाषाओं की कई फिल्मों को भी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सम्मानित किया गया:

  • बेस्ट गुजराती फिल्म: वश
  • बेस्ट बंगाली फिल्म: डीप फ्रीज
  • बेस्ट असमी फिल्म: रोंगातपु
  • बेस्ट कन्नड़ फिल्म: कंडीलू
  • बेस्ट तेलुगु फिल्म: भगवंत केसरी
  • बेस्ट तमिल फिल्म: पार्किंग
  • बेस्ट मराठी फिल्म: श्यामचि आई
  • बेस्ट मलयालम फिल्म: उल्लुझुकु
  • बेस्ट पंजाबी फिल्म: गोड्डे गोड्डे चा
  • बेस्ट ओड़िया फिल्म: पुष्कर
  • बेस्ट ताई फाके फीचर फिल्म: पाई तांग… स्टेप ऑफ होप
  • बेस्ट गारो फिल्म: रिमदोगितांगा

नॉन फीचर फिल्म श्रेणी में इन फिल्मों को मिला पुरस्कार:

  • बेस्ट शॉर्ट फिल्म: गिद्ध – द स्कैवेंजर (हिंदी)
  • बेस्ट डायरेक्टर: पीयूष ठाकुर – द फर्स्ट फिल्म (हिंदी)
  • बेस्ट म्यूजिक: द फर्स्ट फिल्म (हिंदी)
  • बेस्ट एडिटिंग: मूविंग फोकस (इंग्लिश)
  • बेस्ट साउंड डिजाइन: धुंधगिरी के फूल (हिंदी)
  • बेस्ट सिनेमेटोग्राफी: लिटिल विंग्स (तमिल)
  • बेस्ट नॉन फीचर फिल्म: द फ्लॉवरिंग मैन (हिंदी)
  • बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म: गॉड, वल्चर एंड ह्यूमन (इंग्लिश)
  • बेस्ट आर्ट्स/कल्चर फिल्म: टाइमलेस तमिलनाडु (इंग्लिश)
  • बेस्ट सोशल कंसर्न फिल्म: द साइलेंट एपिडेमिक (हिंदी)
  • स्पेशल मेंशन: एनिमल (री-रिकॉर्डिंग मिक्सिंग) और नेकल (मलयालम)

‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ को मिला बेस्ट डायलॉग का पुरस्कार

हिंदी फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ को बेस्ट डायलॉग के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाज़ा गया है। इसके संवाद लेखक दीपक किंगरानी हैं। यह फिल्म अपने कानूनी और सामाजिक संदेशों के कारण सुर्खियों में रही थी।


71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार इस मायने में खास रहे कि इसने पहली बार कई बेहतरीन कलाकारों को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया। शाहरुख खान, विक्रांत मैसी और रानी मुखर्जी जैसे नामों को एक ही मंच पर सम्मानित होते देखना भारतीय सिनेमा के लिए एक प्रेरणादायक क्षण रहा। वहीं, क्षेत्रीय और नॉन फीचर फिल्मों की विविधता ने यह साबित कर दिया कि भारतीय सिनेमा की गहराई सिर्फ बॉलीवुड तक सीमित नहीं है।


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