मध्यप्रदेश बना वन्य जीव पर्यटन का वैश्विक केंद्र
राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य भारत की प्राकृतिक धरोहरों में से एक है, जो घड़ियालों और डॉल्फिन के संरक्षण का महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अभयारण्य के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे वन्य जीव पर्यटन के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित करने की प्रतिबद्धता जताई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश सरकार इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए संकल्पित है।
चंबल नदी में 10 घड़ियालों का पुनर्वास
मुरैना जिले में स्थित देवरी घड़ियाल केंद्र से 10 घड़ियालों (9 मादा और 1 नर) को उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव के साथ विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, खजुराहो सांसद वीडी शर्मा सहित वन विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे। डॉ. यादव ने इस मौके पर बताया कि सरकार चंबल नदी में डॉल्फिन के पुनर्वास की संभावनाओं पर भी कार्य कर रही है।

चंबल अभयारण्य: जैव विविधता का केंद्र
मुख्यमंत्री ने कहा कि चंबल अभयारण्य भारत की अनमोल प्राकृतिक संपदा है, जहां दुर्लभ प्रजातियों का संरक्षण किया जा रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण इन प्रजातियों को खतरा है, और राज्य सरकार इनके संरक्षण के लिए लगातार कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने अभयारण्य का भ्रमण कर वहां की व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया और चंबल सफारी का अनुभव लिया। उन्होंने वन विभाग से घड़ियाल संरक्षण के संबंध में विस्तृत जानकारी भी प्राप्त की।
घड़ियाल संरक्षण एवं पुनर्वास कार्यक्रम
राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य को वर्ष 1978 में वन्य-जीव अभयारण्य का दर्जा दिया गया था। 1981 में यहां घड़ियाल ग्रो एंड रिलीज प्रोग्राम शुरू किया गया। जब यह कार्यक्रम शुरू हुआ, तब चंबल नदी में घड़ियालों की संख्या 100 से भी कम थी। इस कार्यक्रम के तहत देवरी पुनर्वास केंद्र में हर वर्ष चंबल नदी से 200 अंडे लाकर उनका कृत्रिम रूप से पालन-पोषण किया जाता है। जब ये शावक 120 सेंटीमीटर तक बढ़ जाते हैं, तब इन्हें चंबल नदी में छोड़ दिया जाता है।
चंबल नदी: घड़ियालों की सबसे बड़ी आबादी
दुनिया में कुल लगभग 3,000 घड़ियाल हैं, जिनमें से 85% अकेले चंबल नदी में पाए जाते हैं। वर्ष 2024 के सर्वेक्षण में चंबल अभयारण्य में कुल 2,456 घड़ियाल पाए गए। यह दर्शाता है कि संरक्षण प्रयासों के चलते इनकी संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
वार्षिक जलीय जीव सर्वेक्षण
मुरैना वन विभाग द्वारा हर साल फरवरी में जलीय जीवों का सर्वेक्षण किया जाता है। 2024 की गणना के अनुसार, चंबल अभयारण्य में 2,456 घड़ियाल पाए गए। पुनर्वास केंद्र में 2024 बैच के 70, 2023 बैच के 95, 2022 बैच के 85, 2021 बैच के 38 घड़ियाल थे। इस वर्ष अब तक कुल 98 घड़ियालों को प्राकृतिक आवास में छोड़ा जा चुका है।
चंबल बोट सफारी: पर्यटन को नया आयाम
वन्य जीव पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए चंबल बोट सफारी की शुरुआत की गई है, जो अब देश-विदेश के पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हो चुकी है। सरकार वन्य जीव पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाओं पर कार्य कर रही है, जिससे मध्यप्रदेश एक प्रमुख इको-टूरिज्म हब के रूप में उभर रहा है।