नारायणपुर मुठभेड़: सुरक्षाबलों ने दो शीर्ष नक्सली नेताओं को ढेर किया, अमित शाह बोले- लाल आतंक की रीढ़ टूट रही है

नई दिल्ली, 22 सितंबर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में सोमवार सुबह सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि देश नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने की दिशा में निर्णायक कदम उठा रहा है। इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के दो शीर्ष नेताओं—कट्टा रामचंद्र रेड्डी और कादरी सत्यनारायण रेड्डी—को ढेर कर दिया। दोनों केंद्रीय समिति के सदस्य बताए जा रहे हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस सफलता को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि सुरक्षाबल संगठित रणनीति और ठोस खुफिया इनपुट के आधार पर नक्सलवाद के शीर्ष नेतृत्व को खत्म कर रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा कि लाल आतंक की रीढ़ लगातार तोड़ी जा रही है और यह इस बात का प्रमाण है कि नक्सलवाद अब अपने अंतिम दौर में है।

सुरक्षाबलों का अभियान और बरामदगी

अधिकारियों के अनुसार, सोमवार सुबह अबूझमाड़ क्षेत्र में गश्ती के दौरान नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिली। संयुक्त सुरक्षा बलों ने इलाके को घेरकर अभियान शुरू किया। घेरा कसते ही नक्सलियों ने गोलाबारी शुरू कर दी, जिस पर सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई की। करीब एक घंटे चली मुठभेड़ के बाद दो नक्सली नेताओं के शव बरामद किए गए।

सुरक्षाबलों ने घटनास्थल से एके-47 रायफल, भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री, नक्सल साहित्य, प्रचार सामग्री और रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुएं भी जब्त की हैं। यह बरामदगी इस बात का संकेत है कि नक्सली यहां लंबे समय तक डेरा डालकर बड़े हमले की तैयारी कर रहे थे।

नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक रणनीति

गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार की संयुक्त रणनीति का परिणाम है कि अब नक्सली संगठन बिखरते जा रहे हैं। एक समय था जब अबूझमाड़ जैसे दुर्गम क्षेत्रों को नक्सलियों का गढ़ माना जाता था, लेकिन अब लगातार चल रहे अभियानों से उनकी पकड़ कमजोर होती जा रही है।

अमित शाह ने कहा कि यह सिर्फ सुरक्षाबलों की नहीं, बल्कि पूरे देश की जीत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद मुक्त भारत का लक्ष्य रखा है और इस दिशा में ठोस और नतीजामूलक कार्रवाई हो रही है।

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लगातार कम हो रहा नक्सल प्रभाव

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में नक्सली घटनाओं और उनसे जुड़ी हिंसा में भारी गिरावट आई है। पहले जहां बड़े पैमाने पर सुरक्षाबलों को नुकसान उठाना पड़ता था, वहीं अब सुरक्षाबल नक्सलियों पर हावी होते दिखाई दे रहे हैं। नक्सली संगठनों के कई बड़े नेता या तो मारे जा चुके हैं या आत्मसमर्पण कर चुके हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि शीर्ष नेतृत्व के सफाए के बाद नक्सल आंदोलन अपने मूल ढांचे को खोता जा रहा है। यह उनके संगठनात्मक ढांचे को गहरी चोट है, जिससे नए युवाओं की भर्ती भी मुश्किल हो रही है।

प्रभावित क्षेत्रों में भरोसा बढ़ा

सुरक्षाबलों की इस सफलता ने नक्सल प्रभावित गांवों में रहने वाले आम नागरिकों के बीच भी विश्वास पैदा किया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अब वे खुलकर सुरक्षा बलों के साथ खड़े हो पा रहे हैं। सरकार ने भी इन इलाकों में विकास योजनाओं और बुनियादी सुविधाओं को तेजी से पहुंचाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। सड़क, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी योजनाओं ने नक्सलियों की पकड़ कमजोर करने में अहम भूमिका निभाई है।

सरकार का संकल्प

मोदी सरकार बार-बार यह स्पष्ट कर चुकी है कि नक्सलवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गृह मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि आने वाले महीनों में और भी बड़े अभियान चलाए जाएंगे, ताकि नक्सलवाद पूरी तरह समाप्त किया जा सके।

इस मुठभेड़ ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सुरक्षा बल सिर्फ रक्षा ही नहीं कर रहे, बल्कि आक्रामक रणनीति के तहत नक्सलवाद के गढ़ों को ध्वस्त कर रहे हैं। अबूझमाड़ जैसी कठिन और दुर्गम जगह पर हुई यह कार्रवाई नक्सलियों के लिए बड़ा झटका और सुरक्षाबलों के मनोबल को मजबूत करने वाली है।