भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने रायसेन में शहरी भूमि सर्वेक्षण के ‘नक्शा’ पायलट प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया। यह प्रोजेक्ट देशभर में शहरी भूमि रिकार्ड्स के निर्माण और प्रबंधन में क्रांति लाने का उद्देश्य रखता है। डॉ. यादव और चौहान ने ड्रोन उड़ाकर इस कार्यक्रम की शुरुआत की, जिससे शहरी क्षेत्रों में भूमि स्वामित्व के रिकॉर्ड को सुसंगत और पारदर्शी बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं।
शहरी भूमि सर्वेक्षण ‘नक्शा’ की महत्वपूर्ण पहल
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपने संबोधन में कहा कि यह कार्यक्रम केवल मध्यप्रदेश नहीं, बल्कि पूरे देश के शहरी क्षेत्रों में भूमि स्वामित्व के स्पष्ट और आधुनिक रिकॉर्ड बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने बताया कि भूमि को सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति मानते हुए, इसकी सुरक्षा और पारदर्शिता के लिए एक सटीक रिकार्ड का होना आवश्यक है। ‘नक्शा’ कार्यक्रम के तहत ड्रोन तकनीक के माध्यम से शहरी क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया जाएगा, जिससे भूमि अभिलेखों का निर्माण और आधुनिकीकरण होगा। इससे नागरिकों को उनके भूमि के स्वामित्व का ठोस प्रमाण मिलेगा और भूमि संबंधित विवादों में कमी आएगी।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यह कार्यक्रम नागरिकों को सशक्त बनाएगा और उनके जीवन को सरल बनाएगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि मोदी सरकार हमेशा जनकल्याण और विकास की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है, और ‘नक्शा’ कार्यक्रम भी उसी का हिस्सा है।
शहरी क्षेत्रों में भूमि विवादों की कमी और प्रशासनिक सुधार
केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह कार्यक्रम सिर्फ रायसेन और मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देशभर के 26 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में 152 शहरी स्थानीय निकायों में लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भूमि स्वामित्व के सही रिकॉर्ड न होने के कारण कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जिनमें विवाद, अतिक्रमण, और विकास परियोजनाओं में रुकावट शामिल हैं। अब ‘नक्शा’ कार्यक्रम के माध्यम से नागरिकों को उनकी भूमि के स्वामित्व का स्पष्ट और व्यवस्थित रिकॉर्ड मिलेगा, जिससे इन्हीं समस्याओं का समाधान होगा।
वॉटरशेड और जल संकट समाधान की योजना
चौहान ने इस अवसर पर मध्यप्रदेश में वॉटरशेड कार्यक्रम की शुरुआत की घोषणा भी की, जिसमें जल संचयन और भूजल स्तर को सुधारने के लिए विभिन्न जल संरचनाएं जैसे चेक डेम, स्टॉप डेम और बोरी बंधान बनाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि जल संकट को दूर करने के लिए 8,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और पंचायतों को इस योजना में अच्छा काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम
चौहान ने सरकार की विभिन्न योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए ‘लाड़ली बहन’ योजना को लागू किया जा रहा है, जिसमें स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। इसके अलावा, किसानों के लिए भी सरकार कई योजनाओं पर काम कर रही है, जैसे कि गेहूं उपार्जन की कीमतों में वृद्धि और सिंचाई योजनाओं का विस्तार।
सहरी विकास में सुधार: पेमासानी का दृष्टिकोण
कार्यक्रम में केंद्रीय ग्रामीण विकास और संचार राज्यमंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने शहरी क्षेत्रों में भूमि स्वामित्व की स्पष्टता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भूमि स्वामित्व में स्पष्टता न होने से कई विकासात्मक समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जो आर्थिक और सामाजिक रूप से विकास में रुकावट डालती हैं। ‘नक्शा’ कार्यक्रम से शहरी क्षेत्रों में व्यवस्थित और पारदर्शी भूमि स्वामित्व सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे नागरिकों का विश्वास बढ़ेगा और शहरी विकास को नया दिशा मिलेगा।
नक्शा कार्यक्रम की विस्तार से जानकारी
कार्यक्रम में केंद्रीय सचिव भूमि संसाधन, मनोज जोशी ने ‘नक्शा’ कार्यक्रम की कार्यप्रणाली और उसके उद्देश्यों पर विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर सांची के विधायक डॉ. प्रभुराम चौधरी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी संबोधित किया। अंत में, प्रदेश के मछुआ कल्याण और मत्स्य विकास राज्यमंत्री नारायण सिंह पंवार ने आभार व्यक्त किया।
‘नक्शा’ कार्यक्रम शहरी नियोजन, भूमि प्रशासन और नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा, जो न केवल भूमि विवादों को कम करेगा, बल्कि शहरी क्षेत्रों में विकास की गति को भी तेज करेगा।