म्यांमार में पिछले कुछ दिनों से लगातार आ रहे भूकंपों ने देश को गहरे संकट में डाल दिया है। अब तक 1644 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 3400 से अधिक लोग घायल हैं। शुक्रवार को आए शक्तिशाली भूकंपों के बाद शनिवार को 5.1 तीव्रता का एक और झटका महसूस किया गया, जिससे दहशत का माहौल बना हुआ है।
कैसा था भूकंप और कहां-कहां हुआ असर?
म्यांमार में शुक्रवार को 7.7 और 7.2 तीव्रता के दो बड़े भूकंप आए। इसका केंद्र देश के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले के पास था। राजधानी नेपीडॉ, सागाइंग और म्यिकटीना में भी भारी नुकसान हुआ। इन झटकों के असर से थाईलैंड, बांग्लादेश, भारत और चीन तक कंपन महसूस किए गए।
मांडले और नेपीडॉ में सबसे ज्यादा तबाही
- मांडले: 800 से अधिक लोगों की मौत, सैकड़ों इमारतें ढहीं।
- नेपीडॉ: सरकारी इमारतें, मंदिर और अस्पताल क्षतिग्रस्त।
- सागाइंग और काचिन राज्य: कई गांव पूरी तरह तबाह, सड़कों पर दरारें पड़ीं।
भूकंप से तबाही: इमारतें और ऐतिहासिक धरोहरें जमींदोज
म्यांमार के पुराने बौद्ध मंदिर और ऐतिहासिक इमारतें भी इस भूकंप में भारी नुकसान झेल रही हैं। पगान (Bagan) के कई ऐतिहासिक स्तूप गिर गए हैं, जो म्यांमार की धरोहर माने जाते थे।






थाईलैंड और भारत में भी असर
म्यांमार के अलावा थाईलैंड के बैंकॉक, चियांग माई और फुकेट में भी कंपन महसूस किए गए। बैंकॉक में एक निर्माणाधीन इमारत ढहने से 10 लोगों की मौत हो गई। भारत के मिजोरम, मणिपुर और असम में भी हल्के झटके दर्ज किए गए।
राहत और बचाव कार्य जारी
म्यांमार सरकार और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने राहत कार्य तेज कर दिए हैं।
- बचाव दल मलबे में फंसे लोगों को निकालने में जुटे।
- हेलीकॉप्टर और राहत वाहन प्रभावित इलाकों तक भेजे गए।
- बिजली और संचार सेवा ठप होने से राहत कार्यों में दिक्कतें आ रही हैं।
भारत और अन्य देशों ने बढ़ाया मदद का हाथ
भारत ने ‘ऑपरेशन ब्रह्म’ के तहत राहत कार्य शुरू किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार के सैन्य शासक मिन आंग ह्लाइंग से फोन पर बात कर मदद का भरोसा दिया। भारत से आपदा राहत दल, मेडिकल टीमें, खाद्य सामग्री और जरूरी उपकरण भेजे जा रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने भी म्यांमार को वैश्विक सहायता का आश्वासन दिया है। अमेरिका, चीन, जापान और यूरोपीय देशों ने राहत सामग्री भेजने की घोषणा की है।


भविष्य की चिंता: फिर आ सकते हैं झटके
भूवैज्ञानिकों का कहना है कि म्यांमार जिस सागाइंग फॉल्ट लाइन पर स्थित है, वहां भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है। विशेषज्ञों ने आने वाले दिनों में और झटके महसूस होने की चेतावनी दी है।
म्यांमार में अब भी भय का माहौल
म्यांमार में हालात बेहद गंभीर हैं। लोग अभी भी खुले मैदानों में रातें गुजार रहे हैं क्योंकि इमारतों में रहने का डर है। बचाव और राहत कार्य तेजी से जारी हैं, लेकिन संचार और परिवहन बाधित होने से कई इलाकों तक मदद पहुंचने में मुश्किल हो रही है।
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