• हिंसा से बेघर हुए दर्जनों परिवार राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं
  • मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों में हालिया हिंसा के बाद हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं

मालदा/मुर्शिदाबाद। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों में हालिया हिंसा के बाद हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। हिंसा से बेघर हुए दर्जनों परिवार राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। इन्हीं शिविरों में शनिवार को राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष विजया राहटकर और राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस पहुंचे। उन्होंने पीड़ितों से मुलाकात की, खासतौर पर उन महिलाओं से, जिन्होंने हिंसा की त्रासदी को नजदीक से झेला।

"कभी सोचा नहीं था कि घर छोड़ना पड़ेगा"

राहत शिविर में महिलाओं ने महिला आयोग की जांच समिति से बात करते हुए अपने जख्म बयान किए। कई महिलाएं रो पड़ीं। उन्होंने बताया कि किस तरह उपद्रवियों ने उनके घरों पर हमला किया, बदसलूकी की और परिवारों को डराकर वहां से भगा दिया। महिलाओं का दर्द सुनते हुए विजया राहटकर ने कहा, "संवेदनशीलता की कमी ही ऐसे हालातों को जन्म देती है। हर व्यक्ति को महिलाओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।"

आयोग की जांच समिति करेगी पूरी पड़ताल

राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस पूरे घटनाक्रम की जांच के लिए एक विशेष समिति गठित की है, जिसमें खुद आयोग की अध्यक्ष भी शामिल हैं। यह टीम तीन दिन तक हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा कर महिलाओं से अत्याचारों की जानकारी लेगी और रिपोर्ट तैयार करेगी। शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार, महिलाओं को न केवल शारीरिक हिंसा झेलनी पड़ी, बल्कि मानसिक प्रताड़ना और सामाजिक बहिष्कार जैसी स्थितियों का भी सामना करना पड़ा।

राज्यपाल बोले: “पीड़ितों को अकेला नहीं छोड़ेंगे”

राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने शुक्रवार को मालदा के पार लालपुर स्थित राहत शिविर का दौरा किया और कहा कि राज्य प्रशासन पीड़ितों के साथ है। “महिलाओं ने मुझे बताया कि उनके घरों में घुसकर बदमाशों ने मारपीट की, गाली-गलौज की और धमकाया। यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मैं हर शिकायत को आगे ले जाऊंगा और निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी।” राज्यपाल आज मुर्शिदाबाद के हिंसा प्रभावित गांवों का भी दौरा कर रहे हैं।

कानून-व्यवस्था की निगरानी हाई कोर्ट के हाथ में

गुरुवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए बलों को मुर्शिदाबाद में बने रहने का निर्देश दिया। कोर्ट ने राजनीतिक दलों को भड़काऊ भाषणों से परहेज करने का आदेश भी दिया और पीड़ितों के पुनर्वास की निगरानी की जिम्मेदारी अपने हाथ में ली है।