मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड ट्रेन 2027 तक होगी शुरू, रेल मंत्री वैष्णव ने दी जानकारी
मुंबई, 20 सितंबर (हि.स.)।
भारत के पहले हाईस्पीड रेल कॉरिडोर—मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड ट्रेन—के निर्माण कार्य अब अपने अंतिम चरणों में पहुंच चुके हैं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को मुंबई में इस महत्वाकांक्षी परियोजना की प्रगति की जानकारी देते हुए कहा कि यह सिर्फ एक रेल परियोजना नहीं है, बल्कि भारत के बुनियादी ढांचे के इतिहास का सबसे बड़ा मील का पत्थर है। उन्होंने बताया कि 2027 से इस ट्रेन के पहले खंड में यात्रियों की आवाजाही शुरू हो जाएगी और धीरे-धीरे पूरे मार्ग को आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
8 किलोमीटर लंबी समुद्र सुरंग बनी उपलब्धि
मुंबई-ठाणे के बीच समुद्र के नीचे बनाई जा रही विश्व स्तरीय सुरंग इस परियोजना की सबसे बड़ी चुनौती थी। रेल मंत्री ने कहा कि 8 किलोमीटर लंबे हिस्से के निर्माण में सफलता मिलना परियोजना की दिशा में एक ऐतिहासिक पड़ाव है। इस उपलब्धि ने न केवल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भारत की क्षमता साबित की है बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी मजबूती दी है।
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जापानी विशेषज्ञों की सराहना
वैष्णव ने बताया कि जापान के विशेषज्ञों की टीम ने हाल ही में इस परियोजना का निरीक्षण किया। उन्होंने यहां की प्रगति और निर्माण की गुणवत्ता की सराहना की। जापान शिंकानसेन तकनीक का जन्मदाता देश है, ऐसे में उनकी प्रशंसा भारत के लिए गर्व की बात है। अब तक 320 किलोमीटर लंबे पुलों का काम पूरा हो चुका है और साबरमती स्टेशन लगभग तैयार है।
2027 में पहली सवारी
रेल मंत्री ने कहा कि 2027 में पहली हाईस्पीड ट्रेन का परिचालन सूरत से बिलिमोरा खंड में शुरू कर दिया जाएगा। इसके बाद अन्य हिस्से चरणबद्ध तरीके से जनता के लिए खोले जाएंगे। 2028 तक ट्रेन ठाणे तक और 2029 तक मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) तक पहुंच जाएगी।
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देरी के कारण और नुकसान
वैष्णव ने दावा किया कि महाराष्ट्र की पिछली सरकार द्वारा अनुमति न दिए जाने की वजह से यह परियोजना लगभग ढाई साल पीछे चली गई। इस दौरान कितना आर्थिक नुकसान हुआ, इसका आकलन फिलहाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कार्य तेजी से चल रहे हैं और हर संभव प्रयास किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संकल्प समय पर पूरा हो।
आम आदमी के लिए सुलभ किराया
हाईस्पीड ट्रेन के किराए को लेकर मंत्री ने साफ कहा कि यह मध्यम वर्ग के यात्रियों को ध्यान में रखकर तय किया जाएगा। मुंबई से अहमदाबाद की 9 घंटे की यात्रा अब केवल 2 घंटे 7 मिनट में पूरी हो सकेगी। इससे यात्रियों का न सिर्फ समय बचेगा बल्कि व्यापार और उद्योग को भी नई रफ्तार मिलेगी।
आर्थिक विकास का नया मार्ग
रेल मंत्री ने कहा कि जिस तरह जापान में टोक्यो-ओसाका हाईस्पीड ट्रेन के मार्ग पर स्थित शहरों—नागोया और क्योटो—की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयां मिलीं, उसी तरह मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेल परियोजना भी ठाणे, वापी, सूरत और आणंद जैसे शहरों की अर्थव्यवस्था को गति देगी। यह परियोजना क्षेत्रीय विकास और रोजगार सृजन में अहम भूमिका निभाएगी।
आत्मनिर्भर भारत की मिसाल
इस परियोजना में भारत ने कई तकनीकी चुनौतियों का समाधान खुद विकसित किया है। वैष्णव ने बताया कि कई मशीनें और हिस्से अब भारत से विदेशों को निर्यात भी होने लगे हैं। बीकेसी स्टेशन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह स्टेशन नीचे 10 मंजिला और ऊपर 30 मंजिला संरचना का उदाहरण है, जो दुनिया की सबसे आधुनिक इमारतों में गिनी जाएगी।
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प्रस्तावित छह नई हाईस्पीड परियोजनाएं
अहमदाबाद-मुंबई परियोजना की प्रगति को देखते हुए अब देश की अन्य हाईस्पीड रेल परियोजनाओं पर भी काम शुरू होने की संभावना है। इनमें दिल्ली-वाराणसी, मुंबई-नागपुर, दिल्ली-अहमदाबाद, मुंबई-हैदराबाद, चेन्नई-बेंगलुरु-मैसूर और दिल्ली-अमृतसर शामिल हैं। इन सभी के लिए सर्वेक्षण और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार हो चुकी है। जल्द ही इनके क्रियान्वयन की घोषणा हो सकती है।
रेल मंत्री ने भरोसा जताया कि आने वाले वर्षों में भारत का हाईस्पीड रेल नेटवर्क दुनिया के सबसे बड़े और आधुनिक नेटवर्क में शुमार होगा। यह न सिर्फ आम आदमी की यात्रा को आसान बनाएगा बल्कि भारत को एक नई आर्थिक और तकनीकी शक्ति के रूप में स्थापित करेगा।
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