नई दिल्ली, 8 अप्रैल — भारत सरकार की महत्वाकांक्षी “प्रधानमंत्री मुद्रा योजना” (PMMY) ने सोमवार को अपने 10 वर्ष पूरे कर लिए। इस अवसर को खास बनाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशभर से चयनित मुद्रा लाभार्थियों को अपने सरकारी आवास पर आमंत्रित किया और उनसे सीधी बातचीत की। यह कार्यक्रम न केवल एक दशक की उपलब्धियों का उत्सव था, बल्कि उन करोड़ों लोगों की मेहनत, साहस और सफलता की कहानियों का सम्मान भी था, जिन्होंने इस योजना के जरिए अपने छोटे-छोटे सपनों को साकार किया।
उद्यमशीलता को मिला संबल
प्रधानमंत्री ने लाभार्थियों से संवाद करते हुए कहा, “मुद्रा योजना ने अनगिनत लोगों को अपने उद्यमशीलता कौशल को प्रदर्शित करने का अवसर दिया है। यह न केवल ऋण देने की योजना है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की नींव है।”
प्रधानमंत्री ने लाभार्थियों की प्रेरणादायक कहानियाँ साझा कीं—किसी ने किराने की दुकान खोली, किसी ने सिलाई का काम शुरू किया, तो किसी महिला ने दूध का व्यवसाय शुरू कर अपने गांव की कई महिलाओं को भी रोजगार दिया।




सामाजिक समावेशन की दिशा में क्रांतिकारी कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,
“यह विशेष रूप से उत्साहजनक है कि मुद्रा लाभार्थियों में से आधे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदायों से हैं और 70% से अधिक लाभार्थी महिलाएं हैं! प्रत्येक मुद्रा ऋण अपने साथ सम्मान, आत्म-सम्मान और अवसर लेकर आता है।”
उन्होंने इसे सिर्फ एक आर्थिक योजना नहीं, बल्कि सामाजिक समावेशन की दिशा में एक बड़ा और ठोस कदम बताया।
आत्मनिर्भरता की ओर मजबूत कदम
प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार अब आगे इस बात पर ध्यान केंद्रित करेगी कि देश में ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया जाए जहां हर महत्वाकांक्षी उद्यमी को बिना किसी परेशानी के ऋण मिल सके। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि कोई भी सपना सिर्फ पैसों की कमी से अधूरा न रह जाए। मुद्रा योजना उसी भरोसे की नींव है, जिस पर आज लाखों लोग आत्मनिर्भरता की ओर बढ़े हैं।”
क्या है मुद्रा योजना?
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरुआत 8 अप्रैल 2015 को हुई थी। इसका उद्देश्य गैर-कॉरपोरेट, गैर-कृषि छोटे/सूक्ष्म उद्यमों को 10 लाख रुपये तक का लोन देना है। इस योजना के तहत तीन श्रेणियों में ऋण दिए जाते हैं — शिशु (50 हजार तक), किशोर (50 हजार से 5 लाख तक), और तरुण (5 लाख से 10 लाख तक)। इन ऋणों के लिए किसी गारंटी की आवश्यकता नहीं होती।
आंकड़ों में सफलता
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 10 वर्षों में लगभग 43 करोड़ से अधिक ऋण स्वीकृत किए जा चुके हैं, जिनकी कुल राशि 25 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इनमें से करीब 70% लाभार्थी महिलाएं हैं और एक बड़ा हिस्सा सामाजिक रूप से वंचित वर्गों से आता है।
आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम
मुद्रा योजना को ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसी योजनाओं से भी जोड़ा गया है। यह न केवल रोजगार सृजन का माध्यम बना है, बल्कि आर्थिक समावेशन और लघु उद्योगों को नई दिशा देने वाला एक प्रमुख स्तंभ बन गया है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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