नई दिल्ली।
प्रसिद्ध मलयालम लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता एमटी वासुदेवन नायर का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। दिल का दौरा पड़ने के बाद वह एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। नायर, जिन्हें उनके चाहने वाले प्यार से एमटी के नाम से पुकारते थे, पिछले सप्ताह से कोझिकोड के एक अस्पताल में इलाज करा रहे थे।
साहित्य में अमूल्य योगदान
एमटी वासुदेवन नायर ने नौ उपन्यास, 19 लघु कथा संग्रह, छह निर्देशित फिल्में, लगभग 54 पटकथाएं और कई निबंध और संस्मरण लिखे हैं। उनका उपन्यास ‘नालुकेट्टू’ (पैतृक घर) मलयालम साहित्य में एक क्लासिक के रूप में माना जाता है। इसके अलावा उनके अन्य उल्लेखनीय कृतियों में ‘असुरविथु’, ‘मंजू’ और ‘काॅलम’ भी शामिल हैं।
सम्मान और पुरस्कार
नायर को 1995 में भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया था। इसके अलावा उन्हें केंद्र साहित्य अकादमी पुरस्कार, केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार, वायलार पुरस्कार, वलाथोल पुरस्कार, एज़ुथाचन पुरस्कार, मातृभूमि साहित्य पुरस्कार और ओएनवी सहित कई अन्य साहित्यिक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था।
प्रधानमंत्री का श्रद्धांजलि संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमटी वासुदेवन नायर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, "नायर के कार्यों ने मानवीय भावनाओं के गहन अध्ययन के साथ कई पीढ़ियों को आकार दिया है और भविष्य में भी लोग उनसे प्रेरित होते रहेंगे। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ॐ शांति।"
साहित्यिक दुनिया में खालीपन
एमटी वासुदेवन नायर का निधन साहित्यिक दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके लेखन ने मलयालम साहित्य को नई दिशा दी और उनकी कृतियों ने न केवल भारतीय साहित्य में बल्कि विश्व साहित्य में भी महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया। उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।
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