कौशल विकास पर ज़ोर, उद्योगों की मांग के अनुसार युवाओं को मिलेगा प्रशिक्षण और रोजगार
भोपाल। मध्यप्रदेश के युवाओं को तकनीकी रूप से सक्षम और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने प्रदेश के प्रत्येक विकासखंड में एक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा है कि प्रदेश में मौजूद उद्योगों की मांग के अनुरूप कौशल प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाए और इसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया जाए।
मुख्यमंत्री निवास समत्व भवन में हुई तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इन निर्देशों के साथ युवाओं के लिए रोजगार सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता दोहराई। इस बैठक में तकनीकी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम टेटवाल, मुख्य सचिव अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
उद्योगों से समन्वय कर संचालित होंगे प्रशिक्षण कार्यक्रम
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि आईटीआई और पॉलिटेक्निक के विद्यार्थियों को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध औद्योगिक इकाइयों के सहयोग से प्रशिक्षण दिया जाए। इससे युवाओं को क्षेत्र में ही रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे और उद्योगों को भी उनकी आवश्यकतानुसार प्रशिक्षित मानव संसाधन सुलभ होगा।
ग्लोबल स्किल पार्क की सीटें हों पूरी भरी
डॉ. यादव ने ग्लोबल स्किल पार्क की ब्रांड वैल्यू को स्थापित करने और वहां संचालित तकनीकी पाठ्यक्रमों को लोकप्रिय बनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि स्किल पार्क में उपलब्ध सीटें पूरी तरह भरी जाएं और रोजगारपरक पाठ्यक्रमों की यूटिलिटी और रोजगार क्षमता पर केंद्रित प्रचार-प्रसार अभियान को राज्यभर में चलाया जाए।
स्वरोजगार और उद्यमिता पर फोकस
मुख्यमंत्री ने कौशल विकास और रोजगार विभाग की कार्यप्रणाली पर असंतोष भी व्यक्त किया और कहा कि युवाओं को स्वरोजगार और उद्यमिता के लिए भी प्रशिक्षित किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि विभाग की योजनाओं के लक्ष्य और समय-सीमा तय कर परिणाम आधारित गतिविधियों का संचालन हो।
विदेशी भाषाओं में दक्षता को मिले बढ़ावा
बैठक में एक नया और अहम निर्देश यह भी दिया गया कि जर्मन और जापानी जैसी भाषाओं में दक्षता हासिल करने वाले युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाएं अधिक हैं। इसलिए इन भाषाओं में प्रशिक्षण की उचित व्यवस्था की जाए। इससे अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में प्लेसमेंट के अवसर भी मिल सकेंगे।
विश्वविद्यालय और उद्योगों से बनेगा व्यावसायिक प्रशिक्षण का नेटवर्क
डॉ. यादव ने कहा कि तकनीकी रूप से दक्ष विश्वविद्यालयों और निजी औद्योगिक इकाइयों को जोड़कर युवाओं को व्यावहारिक प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जाए। इससे उन्हें कक्षा से सीधे करियर तक का रास्ता मिलेगा और इंडस्ट्री-रेडी स्किल्स विकसित होंगी।
श्रुति कार्यक्रम और रोजगार कार्यालयों की समीक्षा
बैठक में कौशल विकास नीति, रोजगार कार्यालयों और कौशल विकास संस्थानों के विलय, तथा स्थानीय एवं पारंपरिक कौशल की पहचान के लिए शुरू किए गए “श्रुति कार्यक्रम” की भी समीक्षा की गई।
मुख्यमंत्री ने इन सभी निर्देशों के माध्यम से यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रदेश की युवा शक्ति को तकनीकी रूप से दक्ष बनाकर स्थानीय स्तर पर रोजगार देना सरकार की प्राथमिकता है। यह पहल न केवल युवाओं को सशक्त बनाएगी, बल्कि प्रदेश की औद्योगिक प्रगति और आत्मनिर्भरता में भी अहम भूमिका निभाएगी।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!