July 29, 2025 10:39 PM

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय को मिले 11 नए न्यायाधीश, राष्ट्रपति ने दी नियुक्ति को मंजूरी– कुल संख्या 45 हुई, अब भी 9 पद रिक्त

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मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में 11 नए जजों की नियुक्ति, राष्ट्रपति की मंजूरी

जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय को न्यायिक प्रक्रिया को गति देने के उद्देश्य से 11 नए न्यायाधीश मिले हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इनकी नियुक्ति को स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह जानकारी केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर साझा की। जल्द ही इन नवनियुक्त न्यायाधीशों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा। इस नियुक्ति से राज्य की न्यायिक व्यवस्था को नया बल मिलने की उम्मीद है।

अब 45 न्यायाधीश, फिर भी 9 पद खाली
इन नियुक्तियों के बाद मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में कुल न्यायाधीशों की संख्या 45 हो गई है, जबकि स्वीकृत पदों की कुल संख्या 53 है। फिलहाल कोर्ट में 34 जज कार्यरत थे, ऐसे में नई नियुक्तियों से लंबित मामलों के त्वरित निपटारे में मदद मिलने की संभावना है। हालांकि इन नियुक्तियों के बावजूद 9 पद अब भी रिक्त हैं, जो उच्च न्यायालय में न्यायिक भार को पूरी तरह संतुलित करने में बाधा बने रहेंगे।

कॉलेजियम की सिफारिश पर लगी मुहर
ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय की कॉलेजियम ने पिछले महीने न्यायिक सेवा के अधिकारियों को पदोन्नत करने और वरिष्ठ अधिवक्ताओं को न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की थी। इस सिफारिश को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद केंद्रीय कानून मंत्रालय द्वारा नियुक्ति से संबंधित अधिसूचना जारी कर दी गई है।

ये हैं नवनियुक्त न्यायाधीश
वरिष्ठ अधिवक्ता कोटे से:

  • पुष्पेंद्र यादव, जबलपुर
  • जय कुमार पिल्लई, जबलपुर
  • आनंद सिंह बहरावत, इंदौर
  • हिमांशु जोशी, इंदौर
  • अजय निरंकारी, ग्वालियर

न्यायिक सेवा कोटे से:

  • रामकुमार चौबे
  • राजेश कुमार गुप्ता
  • आलोक अवस्थी
  • रत्नेश चंद्र सिंह बिसेन
  • भगवती प्रसाद शर्मा
  • प्रदीप मित्तल

इन सभी न्यायाधीशों का विधि और न्याय क्षेत्र में लंबा अनुभव है, जिससे अपेक्षा की जा रही है कि वे उच्च न्यायालय की कार्यक्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि करेंगे।

लंबित मामलों पर असर
उच्च न्यायालय में लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी। मौजूदा जजों पर कार्यभार अधिक होने के कारण सुनवाई में देरी हो रही थी। इन नियुक्तियों से न्यायिक प्रक्रिया को तीव्र गति मिलने की संभावना है, जिससे आमजन को शीघ्र न्याय मिल सकेगा। साथ ही, यह नियुक्तियां प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से विविधता लाती हैं, जो न्यायिक दृष्टिकोण को संतुलित और समावेशी बनाने में सहायक होंगी।


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