1 मई से सितंबर तक 5 चरणों में चुनाव, नेताओं ने जताई शंका: “हमें भरोसा नहीं”
भोपाल, 7 अप्रैल | स्वदेश ज्योति संवाददाता
मध्यप्रदेश में वर्षों से लंबित पड़े सहकारी समितियों के चुनावों की प्रक्रिया को आखिरकार गति मिलती दिखाई दे रही है। राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी एम. बी. ओझा ने 4500 सहकारी समितियों के लिए 1 मई से सितंबर 2025 के बीच पांच चरणों में चुनाव कराने का कार्यक्रम जारी कर दिया है।
हालांकि, चुनावी शेड्यूल सामने आने के बाद भी राजनीतिक दलों के सहकारी नेताओं को इस पर पूरी तरह से भरोसा नहीं है। भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही खेमों के वरिष्ठ नेताओं ने इसे “केवल दिखावा” बताया है और चुनाव कराए जाने की संभावनाओं पर सवाल खड़े किए हैं।
चुनावी प्रक्रिया पर राजनीतिक अविश्वास
कांग्रेस विधायक और अपेक्स बैंक के पूर्व अध्यक्ष भंवर सिंह शेखावत ने कहा:
“भाजपा सरकार को सहकारी चुनाव कराने की न तो मंशा है और न ही ईमानदारी। पिछले 17-18 सालों से कई सहकारी संस्थाओं में चुनाव नहीं हुए हैं। बीज निगम और मंडी समितियों में आज तक चुनाव नहीं कराए गए। सरकार ने हाल ही में कानून में संशोधन कर प्रशासकों को अनंतकाल तक बने रहने का अधिकार दे दिया है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि विधानसभा और हाईकोर्ट में लगातार इस मुद्दे को उठाए जाने के चलते सरकार को दबाव में आकर चुनाव कार्यक्रम जारी करना पड़ा, लेकिन उन्हें अब भी चुनाव कराए जाने पर यकीन नहीं है।
⚖️ “कोर्ट में जवाब देने के लिए कार्यक्रम निकाला”
सहकार भारती के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और जबलपुर जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष चौधरी नारायण सिंह ने भी सरकार के कदम पर संदेह जताया। उनका कहना था:
“यह कार्यक्रम केवल हाईकोर्ट में पेशी से पहले जवाब देने और सरकार को बचाने के लिए जारी किया गया है। पहले भी इस तरह के पत्र तीन-चार बार आ चुके हैं, लेकिन चुनाव नहीं हुए। हाल ही में कोर्ट ने चुनाव न कराने पर सरकार पर 20 हजार रुपए की लागत (कॉस्ट) भी लगाई थी।”
उन्होंने आगे कहा कि जब तक धरातल पर चुनाव की तारीखें तय नहीं होतीं, मतदाता सूची प्रकाशित नहीं होती और वास्तविक चुनावी गतिविधियां शुरू नहीं होतीं, तब तक इसे केवल “प्रशासनिक दिखावा” ही माना जाएगा।
निर्वाचन प्राधिकारी का बयान: “सूचियां मिलते ही चुनाव”
इन राजनीतिक आशंकाओं पर जवाब देते हुए राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी एम. बी. ओझा ने कहा:
“हमने सभी जिलों से सहकारी समितियों की सदस्यता सूची मांगी है। जैसे ही सूचियां मिल जाएंगी, चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।”
यह बयान यह संकेत देता है कि जमीनी स्तर पर चुनावी तैयारियों में अब भी कई प्रक्रियात्मक अड़चनें मौजूद हैं।
📊 क्यों अहम हैं ये चुनाव?
मध्यप्रदेश की सहकारी समितियां ग्रामीण और कृषि व्यवस्था में ऋण वितरण, बीज वितरण, खाद आपूर्ति और विपणन जैसी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती हैं। लंबे समय से इन समितियों में चुनाव न होने से प्रशासकों द्वारा उनका संचालन किया जा रहा था, जिससे जवाबदेही और पारदर्शिता को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं।
5 चरणों में होंगे चुनाव
जारी कार्यक्रम के अनुसार, 4500 सहकारी समितियों के चुनाव मई से सितंबर 2025 के बीच पाँच चरणों में कराए जाएंगे। हालांकि, प्रत्येक चरण का विस्तृत कार्यक्रम और तारीखें अभी घोषित नहीं की गई हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह चुनाव समय पर संपन्न होते हैं तो ग्राम और कस्बा स्तर पर सत्ता संतुलन और नेतृत्व में बड़ा बदलाव आ सकता है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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