July 31, 2025 5:00 PM

कैबिनेट बैठक में हुआ लोकमाता अहिल्याबाई को नमन, प्रधानमंत्री के दौरे की तैयारियों की समीक्षा

मप्र कैबिनेट बैठक में देवी अहिल्याबाई को नमन

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में सोमवार को मंत्रालय में मंत्रिपरिषद् की बैठक वंदे मातरम् गायन के साथ शुरू हुई। बैठक से पहले मुख्यमंत्री सहित मंत्रीमंडल के सदस्यों ने लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने देवी अहिल्याबाई की 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में राजधानी भोपाल के जंबूरी मैदान में 31 मई को आयोजित होने वाले विशेष समारोह की तैयारियों की विस्तार से समीक्षा की।

गौरतलब है कि इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल आगमन पर दो लाख महिलाओं को संबोधित करेंगे। यह आयोजन सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से प्रदेश के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसी क्रम में बैठक में देवी अहिल्याबाई के जीवन और योगदान पर आधारित लेखिका साधना सलवटे द्वारा लिखित पुस्तक ‘अहिल्या रूपेण संस्थिता’ का विमोचन भी मुख्यमंत्री द्वारा किया गया।

कैबिनेट में वित्तीय अधिकारों के विकेंद्रीकरण पर चर्चा

मंत्रि-परिषद् की बैठक में कई अहम प्रस्तावों पर विचार किया गया, जिनमें से एक प्रमुख प्रस्ताव विभागाध्यक्षों को अधिक वित्तीय अधिकार दिए जाने को लेकर था। जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार आठ वर्षों बाद ‘बुक ऑफ फाइनेंशियल पावर’ में संशोधन की दिशा में बढ़ रही है। इसके तहत विभागों को लैपटॉप, फर्नीचर जैसी वस्तुएं खरीदने के लिए अब शासन से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी।

इस संशोधन से विभागाध्यक्ष सीधे स्तर पर निर्णय ले सकेंगे, जिससे प्रशासनिक प्रक्रियाएं तेज होंगी और कार्य में पारदर्शिता बढ़ेगी। इसके अतिरिक्त, विभागाध्यक्षों को प्रशिक्षु (इंटरन) रखने की अनुमति भी मिलने की संभावना है, जिससे युवाओं को प्रशासनिक अनुभव मिलेगा और शासन व्यवस्था को नई ऊर्जा प्राप्त होगी।

प्रशासनिक सुधारों की दिशा में बड़ा कदम

बैठक में उठाए गए ये प्रस्ताव यदि पारित होते हैं, तो यह राज्य में प्रशासनिक विकेंद्रीकरण और फाइलों की गति बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव माना जाएगा। इससे शासन व्यवस्था अधिक चुस्त-दुरुस्त होगी और विभागों को अपने स्तर पर त्वरित निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्राप्त होगी।

प्रदेश सरकार का यह कदम न केवल प्रशासनिक सुधार की दृष्टि से अहम है, बल्कि यह आम जनता को बेहतर और शीघ्र सेवाएं प्रदान करने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित हो सकता है।


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