माउंट एवरेस्ट पर बर्फीला तूफान: 1000 पर्वतारोही फंसे, नेपाल में 52 की मौत, चीन में टाइफून माटमो से लाखों विस्थापित

काठमांडू / ल्हासा / बीजिंग। हिमालय क्षेत्र इस समय भयंकर प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा है। तिब्बत में माउंट एवरेस्ट की पूर्वी ढलानों पर बर्फीले तूफान के कारण करीब 1000 से अधिक पर्वतारोही और गाइड फंसे हुए हैं, वहीं नेपाल में भारी बारिश और भूस्खलन से अब तक 52 लोगों की मौत हो चुकी है। दूसरी ओर, चीन में टाइफून माटमो (Typhoon Matmo) ने तटीय इलाकों में तबाही मचा दी है, जिससे लाखों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है।

तीनों देशों में प्रशासन ने बड़े पैमाने पर राहत और बचाव अभियान शुरू कर दिए हैं, लेकिन लगातार खराब मौसम और कठिन भू-भाग के कारण राहत कार्यों में भारी दिक्कतें आ रही हैं।

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तिब्बत: माउंट एवरेस्ट की पूर्वी ढलानों पर संकट, बचाव अभियान तेज

तिब्बत के खांबाचेन और पंगलुंग घाटी क्षेत्र, जो माउंट एवरेस्ट के सुदूर पूर्वी हिस्से में आते हैं, वहां शुक्रवार शाम अचानक बर्फीला तूफान आया। तेज़ हवाओं और भारी बर्फबारी के कारण कई बेस कैंप बर्फ में दब गए।

स्थानीय प्रशासन ने बताया कि करीब 1,000 पर्वतारोही, शेरपा और स्थानीय गाइड विभिन्न शिविरों में फंसे हैं। कुछ को हेलीकॉप्टर की मदद से निकाला गया है, जबकि बाकी के लिए बचाव दल लगातार बर्फ हटाने और रास्ते बनाने में जुटे हैं।

यह क्षेत्र समुद्र तल से 4,900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जहां तापमान शून्य से नीचे 20 डिग्री तक गिर गया है।

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“बर्फ के नीचे दबे टेंट, तेज हवाओं ने तोड़े संपर्क”

बचाव दलों के अनुसार, बर्फीले तूफान की शुरुआत शुक्रवार शाम करीब 6 बजे हुई। कुछ ही घंटों में कई फुट बर्फ जम गई और संचार तंत्र ठप पड़ गया।
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में बताया गया कि कई अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोही दलों के साथ भी संपर्क टूट गया है।

एक स्थानीय अधिकारी ने कहा —

“यह अब तक का सबसे भीषण बर्फीला तूफान है। हेलीकॉप्टर उड़ाना बेहद जोखिम भरा है। हम ज़मीनी रास्तों से बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं।”

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माउंट एवरेस्ट: दुनिया की सबसे ऊंची चोटी, अब प्रकृति के प्रकोप से घिरी

माउंट एवरेस्ट (Mount Everest), जिसे चीन में माउंट कोमोलांगमा (Mount Qomolangma) कहा जाता है, दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है — जिसकी ऊंचाई 8,849 मीटर है।
यह क्षेत्र हर साल हजारों पर्वतारोहियों और रोमांच प्रेमियों को आकर्षित करता है।
लेकिन मौजूदा मौसम में यह इलाका बेहद अस्थिर है, और बर्फीले तूफान व हिमस्खलन की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग के चलते हिमालय क्षेत्र के मौसम में अचानक और अनिश्चित परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं, जिससे पर्वतारोहण अब और अधिक जोखिम भरा हो गया है।


नेपाल: बारिश और भूस्खलन से तबाही, 52 की मौत, सैकड़ों बेघर

एवरेस्ट के पड़ोसी देश नेपाल में भी हालात गंभीर हैं। देश के पूर्वी और मध्य पर्वतीय जिलों में पिछले चार दिनों से भारी बारिश हो रही है, जिससे भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ ने तबाही मचा दी है।
नेपाल के गृह मंत्रालय के अनुसार, अब तक 52 लोगों की मौत, 74 घायल और 200 से अधिक घर पूरी तरह तबाह हो चुके हैं।

सबसे ज़्यादा नुकसान सिन्धुपालचौक, लमजुंग, भोजपुर और सोलुखुम्बू जिलों में हुआ है। राहत दल ग्रामीण इलाकों में फंसे लोगों तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं।
रक्षा मंत्रालय की ओर से हेलीकॉप्टरों के ज़रिए खाद्य सामग्री और दवाइयाँ भेजी जा रही हैं।

नेपाल की प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ ने प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया और आपात राहत कोष से तत्काल सहायता जारी करने का आदेश दिया है।


चीन में टाइफून माटमो का प्रकोप, लाखों लोग निकाले गए

इस बीच चीन के तटीय और दक्षिणी इलाकों में टाइफून माटमो (Typhoon Matmo) ने विनाश मचा रखा है। फुजियान, ग्वांगडोंग और झेजियांग प्रांतों में तेज़ हवाएँ और भारी बारिश हो रही है।
स्थानीय प्रशासन ने बताया कि अब तक 20 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा चुका है। कई जगह रेल सेवाएँ बंद, स्कूलों की छुट्टियाँ, और बिजली आपूर्ति बाधित है।

चीनी मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है कि अगले 24 घंटों में माटमो और तेज़ हो सकता है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति और बिगड़ सकती है।


दक्षिण एशिया पर प्रकृति का तीनहरा संकट

तिब्बत, नेपाल और चीन में एक साथ आ रहे इन प्राकृतिक संकटों ने हिमालयी क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिकी की वास्तविक स्थिति उजागर कर दी है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह तीनों आपदाएँ जलवायु परिवर्तन की तीव्र गति का संकेत हैं।

इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (ICIMOD) के जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि —

“हिमालय क्षेत्र अब पहले की तुलना में 0.3 डिग्री प्रति दशक की दर से गर्म हो रहा है। इससे बर्फबारी और बारिश के पैटर्न अस्थिर हो गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप पर्वत क्षेत्रों में अचानक आपदाएँ बढ़ रही हैं।”


राहत अभियान जारी, बचावकर्मियों की जद्दोजहद

तीनों देशों में प्रशासनिक एजेंसियाँ लगातार राहत कार्य में जुटी हैं।

  • तिब्बत में रेड क्रॉस और पर्वतीय रेस्क्यू दल सक्रिय हैं।
  • नेपाल में राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण (NDRRMA) के साथ सेना और पुलिस राहत सामग्री पहुँचा रहे हैं।
  • चीन में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन केंद्र ने प्रभावित इलाकों में 10,000 से अधिक राहतकर्मी तैनात किए हैं।

हालांकि खराब मौसम, बिजली की कमी और पहाड़ी इलाकों में टूटे रास्तों के कारण बचाव कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।