“भीगती धरती, पकते स्वाद – जब रसोई से उठती है बारिश की सोंधी सुगंध”
भारत की पारंपरिक मानसूनी रेसिपियाँ: बारिश के मौसम में अलग-अलग राज्यों का स्वाद
जब रसोई से उठती है मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू… स्वाद से भर उठता है मौसम!
भूमिका:
बारिश की रिमझिम बूंदों के साथ जब मिट्टी की खुशबू हवा में घुलती है, तो भारतीय रसोई में कुछ विशेष पकवान बनते हैं, जिनकी यादें पीढ़ियों से चली आ रही हैं। हर प्रांत का अपना एक खास मानसूनी व्यंजन होता है — कुछ गरमागरम, कुछ तीखे, कुछ मीठे, और सबके पीछे एक सांस्कृतिक कहानी होती है। आइए जानते हैं भारत के अलग-अलग कोनों से जुड़ी पारंपरिक और प्रामाणिक मानसूनी रेसिपीज़, उनके इतिहास और स्वाद के साथ।

1. उत्तर भारत | बेसन का चीला और तुलसी-अदरक वाली चाय (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल)
महत्व:
हिमालयी ठंडक से घिरे क्षेत्रों और मैदानी हिस्सों में, बारिश के मौसम में बेसन का चीला एक हेल्दी, प्रोटीन-युक्त और जल्दी बन जाने वाला विकल्प है। इसे अक्सर चाय के साथ खाया जाता है, खासकर सुबह या शाम के नाश्ते में।
बेसन का चीला

सामग्री:
- बेसन – 1 कप
- बारीक कटी सब्जियां – प्याज, टमाटर, शिमला मिर्च
- हरी मिर्च, अदरक – कटी हुई
- हल्दी, नमक, हरा धनिया
- तेल – सेंकने के लिए
विधि:
- बेसन में सारी सामग्री मिलाकर पानी से गाढ़ा घोल बनाएं।
- तवे पर तेल डालकर गोल चीला फैलाएं और दोनों ओर सेकें।
- टमाटर या हरी चटनी के साथ गरमा-गरम परोसें।
तुलसी-अदरक वाली चाय
तुलसी, अदरक, काली मिर्च और लौंग को उबालकर बनाई गई चाय मानसूनी बीमारियों से भी बचाती है।
2. महाराष्ट्र | कांदाभजी (प्याज भजी) और मसाला चाय
महत्व:
मुंबई की बारिश और कांदाभजी का रिश्ता गहरा है। लोकल ट्रेन के प्लेटफॉर्म से लेकर घरों की बालकनी तक, कांदाभजी बारिश की सबसे पसंदीदा डिश है।

कांदाभजी
सामग्री:
- प्याज के लच्छे
- बेसन, लाल मिर्च, अजवाइन, नमक
- हरी मिर्च, धनिया
- तलने के लिए तेल
विधि:
- प्याज में नमक मिलाकर कुछ देर रखें।
- बाकी मसाले मिलाएं और बेसन डालें।
- गरम तेल में कुरकुरे भजी तलें।
3. बंगाल | भोग खिचुरी और बेगुनी
महत्व:
बारिश के मौसम में देवी दुर्गा को चढ़ाई जाने वाली “भोग की खिचड़ी” और साथ में तली हुई “बेगुनी” बंगाल की विशिष्ट मानसूनी थाली बनाते हैं।

भोग वाली खिचुरी
भुनी हुई मूंग दाल और गोविंदभोग चावल से बनी यह खिचड़ी घी और मसालों से तैयार होती है।
बेगुनी
बैंगन को पतला काटकर बेसन में लपेटकर तला जाता है।
4. राजस्थान | मूंगदाल की पकौड़ी और लहसुन की चटनी
महत्व:
सूखी धरती पर जब बरखा की पहली बूंदें गिरती हैं, तो राजस्थानी रसोई में मूंगदाल की पकौड़ी और लहसुन की तीखी चटनी के साथ इसका स्वागत होता है।

मूंगदाल की पकौड़ी
दरदरी पीसी मूंगदाल में हींग, हरी मिर्च और धनिया डालकर तली जाती है।
5. गुजरात | मग नी दाल ना वड़ा और खट्टा ढोकला
महत्व:
अहमदाबाद और वडोदरा की गलियों में बारिश के साथ मिलने वाले “मग नी दाल ना भजिया” और ढोकला पाचन के लिए हल्के और स्वाद में लाजवाब होते हैं।

मग नी दाल ना भजिया (दाल वड़ा)
- भिगोई हुई मूंग दाल
- अदरक-मिर्च पेस्ट, हींग, नमक
- तेल में कुरकुरा तला जाता है
खट्टा ढोकला
फर्मेंटेड चावल-उड़द दाल बैटर से बना यह ढोकला स्टीम में पकाया जाता है, ऊपर से राई-तिल का तड़का।
6. केरल | पज़म पोरी (केले के पकोड़े)
महत्व:
केरल की बारिश और केले का उपयोग – एक स्वाभाविक मेल है। चाय दुकानों में “पज़म पोरी” हर मानसून में मिलते हैं।

पज़म पोरी
- पके केले के स्लाइस
- मैदा, चावल का आटा, चीनी, इलायची
- गाढ़े घोल में लपेटकर तले जाते हैं।
7. उत्तर-पूर्व भारत | थुकपा और मोमो
महत्व:
बरसात के दौरान सिक्किम, अरुणाचल और नागालैंड में गर्मागर्म थुकपा और मोमो शरीर को गर्म रखने के लिए खाए जाते हैं।

थुकपा (नूडल सूप)
- वेज/चिकन स्टॉक में नूडल्स, सब्जी और अदरक-लहसुन
- सोया सॉस और नींबू के साथ परोसा जाता है।
8. दक्षिण भारत | मिरची भज्जी और टमाटर रसम


महत्व:
तेज बारिश और दक्षिण भारत की भजनियों वाली मिर्च भज्जी और रसम — स्वाद और स्वास्थ्य दोनों में बेहतरीन।
मिरची भज्जी
- भरी हुई बड़ी मिर्चों को बेसन में लपेटकर तला जाता है।
टमाटर रसम
- टमाटर, इमली, रसम पाउडर, लहसुन और करीपत्ता से बना हल्का तीखा सूप।
हर क्षेत्र की मानसूनी रेसिपी न सिर्फ स्वाद में भरपूर है, बल्कि वो उस भूभाग की संस्कृति, परंपरा और जलवायु से भी जुड़ी हुई है। जब भी बरसात हो, इन व्यंजनों से अपने घर को महकाइए और परंपराओं के साथ स्वाद का भी आनंद उठाइए।
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